ढाई मंजिल भवन निर्माण पर फैसला अक्टूबर में
शिमला प्लानिग एरिया से जुड़े ढ़ाई मंजिला भवन की सीमा पर सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर में अंतिम फैसला सुनाएगा। एनजीटी द्वारा अढ़ाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर रोक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल सरकार की याचिका को स्वीकार कर लिया है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस ने याचिका को स्वीकार करते हुए अक्टूबर में अंतिम सुनवाई कर निर्णय सुनाने को कहा। हालांकि याचिका को स्वीकार करने के साथ अभी कोई अंतरिम राहत प्रदान नहीं की है। इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई जहां पर हिमाचल सरकार की तरफ से सोलीसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मैहता महाधिवक्ता अशोक कुमार शर्मा और पैनल एडवोकेट दिव्य प्रकाश पांडे ने पैरवी की।
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्लानिंग एरिया शिमला से जुड़े ढाई मंजिल भवन निर्माण की सीमा पर सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर में अंतिम फैसला सुनाएगा। एनजीटी द्वारा ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर रोक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार की याचिका को स्वीकार कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस ने याचिका को स्वीकार करते हुए अक्टूबर में अंतिम सुनवाई कर निर्णय सुनाने को कहा। हालांकि याचिका को स्वीकार करने के साथ अभी कोई अंतरिम राहत प्रदान नहीं की गई है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। वहां हिमाचल सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मैहता, महाधिवक्ता अशोक कुमार शर्मा व पैनल एडवोकेट दिव्य प्रकाश पांडे ने पैरवी की। एनजीटी ने लगाई थी रोक
एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को 165 पेजों के आदेश में शिमला प्लानिग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण, ग्रीन और कोर एरिया में भवन निर्माण पर रोक लगा दी थी। इस मामले में प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर एनजीटी द्वारा दिए गए 29 मुख्य बिदुओं के आदेशों में से आठ पर आपत्ति जताकर स्टे की मांग उठाई थी जिससे ढाई मंजिल से अधिक भवनों का निर्माण हो सके। एनजीटी के आदेशों का प्रभाव राजधानी शिमला ही नहीं अन्य क्षेत्रों जो शिमला प्लांनिग एरिया में आते हैं, वहां पर भी पड़ा है। इसमें 300 से अधिक गांव भी शामिल हैं। एनजीटी के फैसले को चुनौती
सरकार ने एनजीटी के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा है। इसमें कहा गया है कि राज्य में ढाई मंजिल भवन निर्माण की शर्त को हटाया जाए क्योंकि पहाड़ों में अधिक मंजिला भवन बनाए जा सकते हैं। इसमें निर्माण से संबंधित सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जा सकता है।