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पौंग बांध विस्थापित 47 परिवारों को बीकानेर में मिले मुरब्बे

पौंग बांध विस्थापितों को मंगलवार को राजस्थान में 47 परिवारों को मुरब्बे दिए गए। राजस्थान के बिकानेर में इन 47 परिवारों को 1100 बीघा के करीब जमीन दी गई है। बुधवार को पौंग बांध विस्थापितों के मसले को लेकर राजस्थान सरकार के अधिकारियों के साथ हिमाचल सरकार के अधिकारियों की बैठकपौंग बांध विस्थापितों को मंगलवार को राजस्थान में 47 परिवारों को मुरब्बे दिए गए। राजस्थान के बिकानेर में इन 47 परिवारों को 1100 बीघा के करीब जमीन दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 09:07 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 09:07 PM (IST)
पौंग बांध विस्थापित 47 परिवारों
को बीकानेर में मिले मुरब्बे
पौंग बांध विस्थापित 47 परिवारों को बीकानेर में मिले मुरब्बे

पौंग बांध विस्थापित 47 परिवारों को बुधवार को राजस्थान के बीकानेर में मुरब्बे दिए गए। इन परिवारों को करीब 1100 बीघा जमीन दी गई है। बुधवार को पौंग बांध विस्थापितों के मामले को लेकर राजस्थान व हिमाचल सरकार के अधिकारियों की बैठक बीकानेर में हुई। इस बैठक में इन 47 परिवारों को 20 से 25 बीघा जमीन के मुरब्बे उनके नाम कर उन्हें दिए गए।

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राजस्थान की रेतीली और उजाड़ भूमि के लिए अपनी हजारों बीघा जमीन देकर पौंग बांध में योगदान निभाने वाले हिमाचल के 7500 परिवारों में से 5442 परिवारों को विस्थापित मानने से राजस्थान सरकार ने फिर इंकार किया है। हालांकि प्रदेश सरकार ने इन्हें पौंग बांध विस्थापित बताया और उन्हें दस्तावेज दिए गए हैं। इसमें वे परिवार भी शामिल हैं जिन्हें मुरब्बे दिए गए लेकिन कब्जा न लेने के कारण उन्हें बाहर कर दिया गया। प्रदेश उच्च न्यायालय ने हिमाचल सरकार को पौंग बांध विस्थापितों को हिमाचल में ही बसाने के लिए कहा था। इसका कारण यह था कि राजस्थान में जो जमीन दी जा रही है, वहां पर किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है। विस्थापितों को बंजर जमीनें दी जा रही थीं जहां सिचाई और मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं। पौंग बांध विस्थापितों ने कहा है कि उन्हें हिमाचल में बसाया जाए नहीं तो नर्मदा बांध विस्थापितों के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के तहत 5.5 करोड़ रुपये प्रति विस्थापित दिए जाएं। क्या है मामला

पौंग बांध के कारण हिमाचल के 339 गांवों के 20722 परिवार प्रभावित हुए थे। अभी भी कई विस्थापितों को हक नहीं मिला है। वर्ष 1972-73 में 20,722 परिवारों की उपजाऊ भूमि इस बांध की भेंट चढ़ गई थी। इनमें से 16,352 पात्र परिवारों को राजस्थान में भूमि आवंटन के लिए अधिकृत किया गया। इसके बाद 15,124 परिवारों को समझौते के तहत राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की आरक्षित 2.20 लाख एकड़ रेतीली जमीन पर बसाना तय हुआ। 1980 तक 9196 परिवारों को राजस्थान सरकार ने भूमि आवंटित की जबकि 6658 अलॉटमेंट रद कर दिए गए।


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