जागरण संवाददाता, शिमला : पुलिस को हत्या की गलत सूचना देने के मामले में पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज किया है, मगर सूचना देने वाले ने अब एसएचओ के खिलाफ ही मारपीट की शिकायत कर डाली है। 17 मार्च को पुलिस में नितेश गुप्ता ने सूचना दी थी कि किसी व्यक्ति को हीरा नगर डैंडा में पीटा जा रहा है। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां कोई भी नहीं था। इसके बाद पुलिस ने नितेश से संपर्क किया। तो उसने पुलिस को सही जानकारी ही नहीं दी। कभी अपना पता कहीं का बता रहा था, तो कभी कहीं का। पुलिस रातभर आसपास के क्षेत्रों में भटकती रही। रात आठ बजे से सुबह सात बजे तक पुलिस ने चप्पा चप्पा छान मारा, लेकिन मारपीट का कोई भी मामला नहीं मिला। पुलिस ने 18 मार्च को सुबह नितेश गुप्ता को थाने में तलब किया। इस दौरान पूछताछ हुई। साथ ही साथ पुलिस को गलत सूचना देने के लिए कलंदरा काटा गया। नितेश का मेडिकल भी करवाया गया, लेकिन शनिवार को नितेश गुप्ता के रिश्तेदार नागेंद्र गुप्ता ने एसएचओ पर मारपीट का आरोप लगाने की शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों से कर डाली है। वहीं, मेडिकल में कोई भी मारपीट की पुष्टि नहीं हुई है।

विकास समिति टुटू अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता नागेन्द्र गुप्ता ने बालूगंज थाना इंचार्ज वीरी सिंह के खिलाफ उनके भतीजे के साथ बेवजह थाने के भीतर मारपीट करने और बतमीजी करने की शिकायत उच्च अधिकारियों के पास शिकायतकर्ता की। बालूगंज थाना इंचार्ज वीरसिंह के खिलाफ उच्च स्तरीय जाच कर उचित कार्रवाई करने की माग की है। नागेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि कहा की एसएचओ बालूगंज शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ भी थाने में बतमीजी से पेश आए और परिवार को बिना सूचना दिए ही शिकायतकर्ता को अरेस्ट कर लिया। उन्होने कहा की नितेश जब वापस घर नहीं आए तो उन्होंने मोबाइल फोन पर कॉल की तब एक कास्टेबल ने बताया की मोबाइल फोन जब्त कर नितेश को गिरफ्तार कर लिया। नागेन्द्र गुप्ता ने कहा की भतीजे को गिरफ्तार करने की सूचना मिलते ही वह दोपहर बाद थाना बालूगंज पहुंचे और एसएचओ के कहने पर मुचलका भर कर उन्होंने भतीजे को जमानत पर छुड़वाया।

क्या था मामला

17 मार्च में (वीरवार) रात्रि 8 बजे के करीब नितेश गुप्ता ने पुलिस में सूचना दी कि वह हीरानगर से टुटू की ओर अपने स्कूटर पर आ रहा था तो उसने देखा की कुछ आदमी हीरानगर डैंडा के बीच नाल्टू के जंगल में एक पिकअप रोककर एक व्यक्ति की बेरहमी से मारपीट कर रहे हैं जिसकी सूचना उसने पिकअप का नंबर सहित 100 नंबर डायल कर दर्ज करवाई। ताकि पुलिस विभाग के कर्मचारी मौके पर जाकर लड़ाई झगड़ा रुकवा सके और घायल व्यक्ति को भी समय पर तुरंत उपचार मिल सके।