एंबुलेंस सेवा खुद बीमार, मरीज भगवान भरोसे
जागरण संवाददाता, शिमला : आपातकाल में जो एंबुलेंस सेवा लोगों की जान बचाती थी वही अब बीमार नजर
जागरण संवाददाता, शिमला : आपातकाल में जो एंबुलेंस सेवा लोगों की जान बचाती थी वही अब बीमार नजर आ रही है। शिमला जिला में जीवीके कंपनी की 33 एंबुलेंस 108 सेवा और 12 एंबुलेंस 102 सेवा की हैं। जिला में 108 एंबुलेंस सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। कंपनी की ओर से जिला में चलाई जा रही एंबुलेंस में 75 प्रतिशत एंबुलेंस खराब पड़ी है। पांच दिन से 108 की 6 गाड़ियां पासिंग के लिए चली गई हैं। चार गाड़ियां पिछले माह से पासिंग में पेंडिंग पड़ी है। दो गाड़ियों की एक्सीडेंटल रिपेयर के लिए खड़ी की गई हैं, जिस कारण जिला में मरीजों को अब एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। लोग फोन तो करते हैं, लेकिन घंटों तक या तो कॉल सेंटर में फोन ही नहीं उठाया जाता या फिर एक घंटे बाद एंबुलेंस आने की बात कही जाती है। बगैर यह सोचे की जिस मरीज को 108 एंबुलेंस की सुविधा मांगी जा रही है उसके पास एक घंटे का समय है भी या नहीं। सबसे ज्यादा दिक्कत जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में पेश आ रही है। जहां पर न तो निजी टैक्सी उपलब्ध हो पा रही है और न ही एंबुलेंस मिल पा रही है। तेल व खराबी के कारण कुछ दिन बाद बाकी की एंबुलेंस गाड़ियों के भी खड़े हो जाने की संभावनाएं जताई जा रही है। कंपनी की लचर व्यवस्था के चलते पेट्रोल पंप मालिकों ने गाड़ियों में तेल डालने से मना कर दिया है। कंपनी की ओर से भुगतान न किए जाने से वर्कशॉप के मालिकों ने भी खराब एंबुलेंसों की मरम्मत करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। 108 एंबुलेंस सेवाओं के ठप होने से जिला के अधिकतर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से आपातकाल में मरीजों को निजी वाहनों में अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। रेफर मरीजों को निजी वाहनों से ही क्षेत्रीय अस्पताल में शिमला पहुंचाना पड़ रहा है। जिससे तीमारदारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
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अभी नहीं सुधरेगी एंबुलेंस सेवा की स्थिति
जिला में एंबुलेंस सेवा की स्थिति सुधरने के कोई आसार नहीं हैं। जो 10 गाड़ियां पासिंग के लिए गई है वह अभी पांच सात दिन ठीक होने वाली नहीं है। ऐसे में जिला में लोगों को बिना एंबुलेंस के आने वाली दिक्कतों को और झेलना होगा।
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कुछ गाड़ियां पासिंग के लिए भेजी गई हैं, जिसमें पांच दिन का समय लगेगा। इस कारण गाड़ियां कम हैं। जल्द गाड़ियों को ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि लोगों को किसी तरह की दिक्कतें न हो।
-अभिषेक, मीडिया प्रभारी जीवीके कंपनी।