भूस्खलन रोकना मुमकिन नहीं, आपदा पर नियंत्रण संभव
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सहयोग से भूस्खलन नियंत्रण एवं विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
जागरण संवाददाता, मंडी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सहयोग से भूस्खलन नियंत्रण एवं विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का मकसद भूस्खलन के संभावित खतरों और उनकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाना रहा और ढलान स्थिरता के बुनियादी उद्देश्य की जानकारी देने और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में प्रतिभागियों को मदद करना था।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ प्रो. विकास ठाकुर, प्रमुख सिविल इंजीनियरिग विभाग, नार्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनटीएनयू) नार्वे ने भूस्खलन और उनके कारणों पर सत्रों का संचालन किया। कथित खतरों के आकलन और उनकी रोकथाम के नार्वे में होने वाले प्रयासों के बारे में उन्होंने बताया कि भारत में ऐसे अध्ययनों की बहुत जरूरत है। आरंभिक चेतावनी देकर जान बचाने की अनिवार्यता पर जोर देते हुए कहा कि भूस्खलन रोकना तो मुमकिन नहीं है पर इसकी आपदा पर नियंत्रण किया जा सकता है।
प्रशिक्षण के लिए विभिन्न सरकारी विभागों के 30 महाप्रबंधक, शिक्षाविद, इंजीनियर, प्रशासक और भू-गर्भ विज्ञानी नामित किए गए थे। इसका मकसद भारत के चुने हुए क्षेत्रों में भूस्खलन की समस्या पर नियंत्रण के लिए डीपीआर तैयार करना है। भूस्खलन की घटनाओं के प्रत्यक्ष अनुभव के लिए प्रतिभागी कोटरोपी गए। उन्हें मिट्टी ढहने के इन मामलों को बेहतर समझ कर संबंधित समस्याओं के निदान की संभावना पर विचार करना है। मुख्य वक्ताओं ने अहम विषयों पर किया मंथन
कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. उदय काला, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिग ने साइट के परीक्षण और मैदान से पानी की उचित निकासी की व्यवस्था कर मिट्टी पर दबाव कम करने को महत्वपूर्ण बताया। डॉ. वरुण दत्त, एसोसिएट प्रो. स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिग ने भूस्खलन समस्या नियंत्रण के लिए आरंभिक चेतावनी तंत्र के बारे में बताया। संस्थान द्वारा विकसित कम लागत के सेंसर के बारे में भी जानकारी दी। डॉ. मौसमी मुखर्जी ने ढलान स्थिरता, मिट्टी ढहने की घटनाओं के विश्लेषण एवं रोकथाम के बारे में जानकारी दी। डॉ. दीपक स्वामी ने भूस्खलन की संभावना में भूतल जल की भूमिका को रेखांकित किया। मिट्टी के नीचे पानी के एक्सफिल्टरेशन के साथ भूस्खलन पर नियंत्रण के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी। उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने प्रतिभागियों से एकजुट होकर देश के विकास में योगदान देने के लिए कहा। उन्होंने डीपीआर तैयार करने में ऐसी कार्यशालाओं की अहमियत बताई।