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बिजली नहीं, अब सौर ऊर्जा से होगा पानी प्‍यूरीफाई

water purify with solar energy, ऑटोमैटिक वाटर प्यूरीफायर निकट भविष्य में बिजली से नहीं बल्कि सौर ऊर्जा से चलेंगे।

By Edited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 06:52 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 11:54 AM (IST)
बिजली नहीं, अब सौर ऊर्जा से होगा पानी प्‍यूरीफाई
बिजली नहीं, अब सौर ऊर्जा से होगा पानी प्‍यूरीफाई

हंसराज सैनी, मंडी। लोगों को अब महंगे दामों पर वाटर प्यूरीफायर नहीं खरीदना पड़ेगा। न ही बिजली बिल के लिए माथापच्ची करनी होगी। ऑटोमैटिक वाटर प्यूरीफायर निकट भविष्य में बिजली से नहीं बल्कि सौर ऊर्जा से चलेंगे। नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज (एनएमएचएस) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी को करीब एक साल पहले कम लागत व सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले वाटर प्यूरीफायर (जल शुद्धिकरण) यंत्र विकसित करने का जिम्मा सौंपा था।

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आइआइटी के विशेषज्ञ सौर ऊर्जा से जल शुद्धिकरण की तकनीक ईजाद करने में काफी हद तक सफल रहे हैं। इससे संस्थान के विशेषज्ञ अब इंजीनियरिंग, विज्ञान कॉलेज के विद्यार्थियों व उद्यमियों को अवगत करवाएंगे। इसके लिए संस्थान में 11 से 13 फरवरी तक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। देश के विभिन्न आइआइटी व एनआइटी के विशेषज्ञ तीन दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करेंगे। वर्तमान में मार्केट में जो ऑटोमैटिक वाटर प्यूरीफायर उपलब्ध हैं उनकी कीमत 10,000 से 30,000 रुपये के बीच में है। हर माह 60 से 70 यूनिट बिजली खर्च होती है। बिजली की दरें अलग-अलग राज्यों में भिन्न हैं। एक यूनिट की दर ढाई से छह रुपये तक है। स्वच्छ एवं शुद्ध पानी न मिलने से लाखों की लोग हर साल जलजनित बीमारियों की चपेट में आते हैं।

2055 तक चाहिए 55 फीसद अधिक पानी

दुनिभा भर में 2055 तक पानी की मांग 55 फीसद बढ़ जाएगी। कृषि क्षेत्र में 70 प्रतिशत पानी का उपयोग हो रहा है। 2035 तक कृषि क्षेत्र को 69 फीसद पानी और चाहिए। अवैज्ञानिक खनन व ग्लोबल वार्मिंग के चलते प्राकृतिक जलस्रोत सूख रहे हैं। भूमिगत जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल आने वाले समय में सबसे बड़ी चुनौती होगा।

वाष्पीकरण तकनीक का भी होगा प्रयोग

पानी को शुद्ध करने में वाष्पीकरण तकनीक का इस्तेमाल भी होगा। वाष्प से जो पानी मिलता से वह वाटर प्यूरीफायर से ज्यादा शुद्ध होता है, लेकिन उसमें सभी पोषण तत्व मौजूद नहीं होते हैं। इस पर भी शोध कार्य चल रहा है। ऐसे पानी में जो कमी पाई जाएगी। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व मिलाए जाएंगे, ताकि मनुष्य में किसी भी पोषक तत्व की कमी न हो। सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले वाटर प्यूरीफायर की कीमत महज 1000 से 5000 रुपये के बीच होगी। इससे आम आदमी को भी आसानी से स्वच्छ एवं शुद्ध पेयजल मिलेगा।

सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले वाटर प्यूरीफायर पर शोध कार्य चल रहा है। एक साल के शोध में इसमें कई सफलताएं हाथ लगी हैं। इसकी कीमत बिजली से चलने वाले वाटर प्यूरीफायर से काफी कम होगी। लोगों को हर माह 400 से 500 रुपये के बिजली बिल से भी निजात मिलेगी। जल्द ही शोध के आशातित परिणाम सामने आएंगे।-डॉ. बीएस पुरोहित, सहायक प्रोफेसर आइआइटी मंडी।


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