मुंह खुर से बचाने के लिए पशुओं को लगेंगे इंजेक्शन
कफर्यू के इस दौर में प्रदेश के मवेशियों को मुंह खुर की बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए पशुपालन विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इनको इस बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीनेशन होती थी जो नहीं हुई है। ऐसे में बीमारी का खतरा बढ़ गया है। कुछ मामले सामने आने के बाद विभाग ने अब इनकी वैक्सीनेश के लिए दवा विभिन्न कार्यालयों में उपलब्ध करवा दी है।
जागरण संवाददाता, मंडी : हिमाचल में पशुओं को मुंह खुर की बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए पशुपालन विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रदेश में करीब 52 लाख पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण नहीं हुआ था। मुंह खुर के कुछ मामले सामने आने के बाद विभाग अब कर्फ्यू के दौरान सभी पशुओं को इंजेक्शन लगाएगा। विभाग ने टीकाकरण के लिए विभिन्न कार्यालयों में दवा उपलब्ध करवा दी है।
प्रदेश में करीब 20.5 लाख गाय, 10.25 लाख भैंसें, आठ लाख भेड़ें, 11 लाख बकरियां और करीब 30 हजार बेसहारा पशु हैं। हर साल मार्च, अप्रैल, अगस्त व सितंबर में पशुओं को इंजेक्शन लगाए जाते थे। पिछले वर्ष अगस्त व सितंबर में सभी पशुओं की टैगिग होनी थी और इनका डाटा बैंक बनना था। इस कारण टीकाकरण का काम अधर में रहा। मार्च में कर्फ्यू लगने के कारण टीकाकरण नहीं हो सका। प्रदेश में अब मुंह खुर की बीमारी ने पैर पसारना शुरू कर दिए हैं। मंडी शहर सहित जिला के अन्य क्षेत्रों में सड़कों पर घूम रहे कई बेसहारा पशु मुंह की बीमारी से पीड़ित हैं। इसलिए अब विभाग ने पशुओं का टीकाकरण करवाने का निर्णय लिया है। क्या है मुंह खुर की बीमारी
इस बीमारी में पशु के मुंह व खुर पर जख्म बन जाते हैं। इन जख्मों पर दो प्रकार की मक्खियां हमला करती हैं। हॉर्न फ्लाई (हिमोटोपिया यूवीकैंस) तथा स्टेवन फइला (सटोमोसिस कैलसीएस) पशुओं का खून चूसकर उन्हें परेशान करती हैं।
--------- पशुओं को मुंह खुर की बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण शुरू करने को लेकर दवा आ गई है। योजनाबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश में टीकाकरण किया जाएगा।
डॉ. संजय शर्मा, सहायक निदेशक (प्रसार), पशुपालन विभाग मंडी।