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Chaitra Navratri 2020: मंदिर के कपाट बंद, सोशल मीडिया पर पुजारी भक्‍तों को करवा रहे हैं ऑनलाइन दर्शन

कोरोना वायरस के चलते नवरात्र में मंदिरों के कपाट बंद हैं ऐसेे में पुजारी भक्तों को नवरात्र में ऑनलाइन दर्शन करवा रहे हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 03:48 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 03:48 PM (IST)
Chaitra Navratri 2020:  मंदिर के कपाट बंद, सोशल मीडिया पर पुजारी भक्‍तों को करवा रहे हैं ऑनलाइन दर्शन
Chaitra Navratri 2020: मंदिर के कपाट बंद, सोशल मीडिया पर पुजारी भक्‍तों को करवा रहे हैं ऑनलाइन दर्शन

मंडी, फरेंद्र ठाकुर। देवभूमि में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर नवरात्र में कई मंदिरों के कपाट बंद हैं। ऐसी स्थिति में भी श्रद्धालु देवी-देवताओं के दर्शनों से वंचित नहीं रह रहे हैं। कई मंदिरों के पुजारी भक्तों को नवरात्र में ऑनलाइन दर्शन करवा रहे हैं। पुजारी सोशल मीडिया के माध्यम से सुबह-शाम श्रद्धालुओं को मंदिरों में हो रहे पूजा-पाठ व आरती का सीधा प्रसारण दिखा रहे हैं। सोशल मीडिया पर पराशर ऋषि, कोयला माता, अंबिका, गाडा दुर्गा, काली माता सहित अन्य मंदिरों के फेसबुक पेज बनाए गए है। इनमें मंदिरा के पुजारी भक्तों को आरती का सीधा प्रसारण दिखा रहे है।

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बता दें कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बाद मंदिरों में धार्मिक आयोजनों, शादी समारोह, कथा सहित अन्य कार्यों पर रोक लगाई गई है। बावजूद इसके पुजारी पूजा-अर्चना कर देव परंपरा को निभा रहे हैं और लोगों को मंदिर के ऑनलाइन दर्शन करवा रहे हैं। भले ही इन मंदिरों में सन्नाटा पसरा हो, लेकिन फिर भी चहलकदमी सा मौहाल बना हुआ  है। मंडी के ऐतिहासिक बाबा भूतनाथ मंदिर, महामृत्यूंजय, पंचवक्त, टारना सहित अन्य मंदिरों में भी ऑनलाइन भक्तों को घंटियों की आवाज और दर्शन करवाए जा रहे हैं।

घाटी के लोग घरों में कर रहे हवन-यज्ञ

अब घाटी के लोग अपने घरों में पूजा-अर्चना कर देव परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं और देवताओं से कोरोना वायरस बीमारी को खत्म करने की भी गुहार लगा रहे है। नवरात्र में लोग अपने घरों में स्वजनों के साथ हवन-यज्ञ भी करवा रहे हैं और विधिविधान व गणोश पूजन के साथ उसका निर्वहन कर रहे हैं।

देवताओं के कीर्तन पर भी रोक

मंडी-कुल्लू जिले में देवताओं के स्वर्ग से धरती पर लौटने पर कीर्तन का आयोजन इस बार नहीं किया जाएगा। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सभी देवता कमेटियों ने यह फैसला लिया है। इसे सभी पदाधिकारियों ने स्वीकार किया है। 

बता दें कि कई देवता क्षेत्र की सुख-शांति और समृद्धि के लिए चार से पांच माह तक तपस्या में लीन रहते हैं। इनके धरती पर लौटने के दौरान दस दिनों तक देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भजन कीर्तन होता है। इसमें मंडी व कुल्लू जिलों के लोग शिरकत करते थे। इस बार इन कीर्तन पर विराम लगा दिया गया है।

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