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मृत घोषित एचआरटीसी लाइसेंसी चुका रहा है किराया

लाइसेंसी को मृत घोषित करने के मामले को मंडलीय प्रबंधक की गंभीर चूक माना गया है। अब देखना यह है कि प्रबंधन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 11:26 AM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 11:26 AM (IST)
मृत घोषित एचआरटीसी लाइसेंसी चुका रहा है किराया
मृत घोषित एचआरटीसी लाइसेंसी चुका रहा है किराया

शिमला, रमेश सिंगटा। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) का 61 लाख रुपये किराया देने का लाइसेंसी (किरायेदार) जांच में जिंदा पाया गया है। रिकवरी से जुड़ी कमेटी के मुखिया ने उसे रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया था। यह भी तथ्य सामने आया है कि लाइसेंसी तहसीलदार के माध्यम से बाकायदा किराया भी जमा करवा रहा है जबकि ऊना में निगम की दुकान छोड़े उसे दस साल हो गए हैं।

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दैनिक जागरण ने इस संबंध में गत 21 जून को समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस पर प्रदेश सरकार ने जांच शुरू कर दी थी। मुख्य महाप्रबंधक एचके गुप्ता ने निगम के प्रबंध निदेशक को जांच रिपोर्ट

सौंप दी है। इसमें लाइसेंसी को मृत घोषित करने के मामले को मंडलीय प्रबंधक की गंभीर चूक माना गया है। अब देखना यह है कि प्रबंधन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। रिपोर्ट की प्रतिलिपि परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर को भी भेजी जाएगी। रिकवरी करने वाली कमेटी के मुखिया कांगड़ा में मंडलीय प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। जांच रिपोर्ट से उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। वह टायर घोटाले में भी आरोपित रहे हैं। इस मामले में विभागीय जांच के आधार पर उनकी तीन इंक्रीमेंट बंद हो चुकी हैं जिन्हें बहाल करने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

दर्ज हो एफआइआर

भारतीय मजदूर संघ ने जांच रिपोर्ट में कसूरवार ठहराए गए मंडलीय प्रबंधक के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर ने कहा कि निगम को 61 लाख रुपये का चूना लगाने वाले अधिकारी को तत्काल सस्पेंड कर जेल भेजा जाए। अधिकारी ने मिलीभगत से लाइसेंसी

के मृत होने की झूठी कहानी तैयार की। उन्होंने निगम के प्रबंध निदेशक से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा।

नौ लाइसेंसी से वसूले जाने हैं 80 लाख रुपये

ऊना में एचआरटीसी के नौ लाइसेंसी से 80 लाख रुपये वसूले जाने हैं। इस राशि को वसूलने के कार्य में पहले अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई है।

यह बात सही है कि लाइसेंसी जिंदा है। उसे पहले गलत तरीके से मृत घोषित किया गया था। यह लापरवाही है। रिकवरी को राइट ऑफ यानी खत्म करने की प्रक्रिया लंबी होती है। यह केवल अधिकारी के हाथ में नहीं होता है। मैने जांच रिपोर्ट सौंप दी है।

-एचके गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक, एचआरटीसी


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