अब मात्र 15 सेकेंड में पता चल जाएगा कैंसर है या नहीं
Cancer test अब 10 से 15 सेकंड के अंदर कैंसर का टेस्ट हो जाएगा और कुछ ही मिनटों में रिपोर्ट मरीज को दे दी जाएगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के दो प्रशिक्षुओं के शोध ने ये संभव कर दिखाया है ।
मंडी, हंसराज सैनी। Cancer test कैंसर टेस्ट की रिपोर्ट के लिए मरीज या डॉक्टर को एक से डेढ़ घंटे का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अब 10 से 15 सेकंड के अंदर टेस्ट हो जाएगा और कुछ ही मिनटों में रिपोर्ट मरीज को दे दी जाएगी। ऐसा संभव होगा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी, हिमाचल प्रदेश के दो प्रशिक्षुओं के शोध से।
संस्थान के विशेषज्ञों की देखरेख में प्रशिक्षुओं ने सेल से न्यूक्लियस को कुछ ही सेकंड में अलग करने की तकनीक ईजाद की है। इससे सेल यानी कोशिका से न्यूक्लियस को अलग करने में पैथोलॉजिस्ट को सुविधा होगी। बेंगलुरु में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में दोनों प्रशिक्षुओं को पुरस्कार से नवाजा गया है। स्पर्धा का आयोजन जर्मनी की कार्ल जाइस्स कंपनी ने किया था। यह कंपनी चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए प्रख्यात है। इस तकनीक को ईजाद करने वाले प्रशिक्षु शरद कुमार गुप्ता पीएचडी स्कॉलर हैं, जबकि अभिषेक भारद्वाज कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में द्वितीय वर्ष के छात्र।
शोध कार्य को स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के सहायक प्रो. डेरिक्स पी. शुक्ला की देखरेख में किया। शरीर के किसी अंग या भाग में कैंसर का पता लगाने के लिए ऊतक की जांच (बॉयोप्सी) की जाती है। जिस अंग में कैंसर की आशंका होती है वहां से चिकित्सा विशेषज्ञ कोशिका के हिस्से (ऊतक या टिशू) का थोड़ा भाग निकाल उसे माइक्रोस्कोपिक या फिर पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जांच के लिए लैब में भेजते हैं। पीसीआर टेस्ट के दौरान सेल से न्यूक्लियस व डीएनए को अलग कर सैंपल की जांच की जाती है। इस प्रक्रिया में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है। आइआइटी के प्रशिक्षुओं ने जो मॉडयूल तैयार किया है उसमें सैंपल लेने की प्रक्रिया पहले वाली ही रहेगी, लेकिन सेल से न्यूक्लियस व डीएनए को अलग करने में 10 से 15 सेकंड का ही समय लगेगा।
इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप कंप्यूटर में मौजूद मॉडयूल से जुड़ा रहेगा। इससे सैंपल की किसी भी तस्वीर में अलग हुए न्यूक्लियस को आसानी से पहचानने में मदद मिलेगी। मरीज को टेस्ट रिपोर्ट कुछ ही मिनटों में मिल जाएगी। बीमारी का जल्द पता चलने से उपचार शुरू करने में देरी नहीं होगी।
प्रमुख कैंसर और उनके लक्षण
स्तन कैंसर
अधिक प्रसव व शिशु को स्तनपान न कराने से स्तन कैंसर होता है। डिंबग्रंथि (ओवरी) से उत्सर्जित हार्मोन भी इसको पैदा करते हैं।
गर्भाशय का कैंसर
छोटी उम्र में विवाह, अधिक प्रसव, संसर्ग के दौरान रोग, प्रसव के दौरान गर्भाशय में किसी प्रकार का घाव होना और वह ठीक होने से पहले गर्भधारण हो जाए तो 40 की उम्र के बाद गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा रहता है। मीनोपॉज के बाद रक्तस्राव होना, और दुर्गंध आना, पैरों व कमर में दर्द रहना इसके लक्षण हैं।
रक्त कैंसर (ल्यूकेमिआ)
एक्सरे और विकिरण प्रणाली से किरणें यदि शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाएं तो अस्थियों को प्रभावित करती हैं, जिससे उसके अन्दर खून के सेल्स भी प्रभावित होते हैं। मुख से खून निकलना, जोड़ों व हड्डियों में दर्द, बुखार का लगातार कई दिनों तक बना रहना, डायरिया होना, प्लीहा व लसिका ग्रंथियों के आकार में वृद्धि होना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
ब्रेन कैंसर
ब्रेन कैंसर में मस्तिष्क या स्पाइनल कॉर्ड में गांठ होती है जिससे चक्कर आना, उल्टी होना, भूलना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
मुख का कैंसर
तंबाकू सेवन मुख व गले के कैंसर का मुख्य कारण है। मुख के भीतर कोई गांठ, घाव या पित्त बन जाना, मुंह में सफेद दाग, लार टपकना, बदबू आना, मुंह खोलने, बोलने व निगलने में दिक्कत होना इसके लक्षण हैं।
फेफडों का कैंसर
हल्की निरंतर खांसी आना, खांसी के साथ खून आना, आवाज में बदलाव आना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके लक्षण हैं।
आमाशय का कैंसर
पेट में दर्द, भूख बहुत कम आना, कभी-कभी खून की उल्टी होना, खून की कमी। पतले दस्त, शौच के समय केवल खून निकलना, आंतों में गांठ की वजह से शौच न होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
सर्वाइकल कैंसर
इसके फैलने के बाद रक्त-सामान या मलिन योनिक स्राव उत्पन्न करता है जो कि संभोग या असामान्य रक्त स्राव के बाद नजर आता है। सर्वाइकल कैंसर की प्रारंभिक अवस्थाएं पीडा, भूख की कमी, वजन का गिरना और अनीमिया उत्पन्न करती हैं।