सुनीता बनी बेरोजगार महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत
बेरोजगार युवक तथा युवतियां तीस से पैंतालीस दिनों में रेशमकीट पालन से माह में 15 से 20 हजार रूपये की आमदानी प्राप्त कर सकते हैं।
मंडी, जेएनएन। मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बुलंदियों को छूने से कोई भी नहींं रोक सकता। बेशक
इस राह में कई बाधाएं सामने आती हैं लेकिन दृढ़ निश्चय वालों के कदम सफलता अवश्य चूमती है। करसोग विकास खंड के वथरौण निवासी सुनीता देवी पर यह पक्तियां बिल्कुल स्टीक बैठती है। कड़ी मेहनत के बलबूते सुनीता ने न सिर्फ स्वरोजगार अपनाकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनी है बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्नोत बनकर उभरी हैं।
सुनीता देवी रोजमर्रा की जरूरतों का भी बड़ी मुश्किल से पूरा कर पाती थी और आज न केवल स्वयं आत्मनिर्भर हुई हैं, बल्कि पड़ोस की चालीस से पचास युवतियों तथा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की राह दिखा रही हैं। सुनीता देवी का जन्म एक निर्धन परिवार में हुआ है। माता-पिता खेतीबाड़ी व मेहनत मजदूरी से परिवार का जीवन यापन करते थे। उसे बचपन से पढ़ने की चाह थी लेकिन संसाधन बिल्कुल न के बराबर थे। जैसे तैसे उसके माता-पिता ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मैहंडी से दस जमा दो की शिक्षा तो दिलाई लेकिन स्नातक स्तर की पढ़ाई दिलाने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं था।
पढ़ाई करने के बाद परिवार का सहारा बनने के लिए रोजगार की तलाश आरंभ की तथा साल 2011 में आइसीडीएस के माध्यम से एक स्वयं सहायता समूह का गठन किया। उसके बाद रेशम कीट पालन का सुंदरनगर में प्रशिक्षण हासिल किया। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सुनीता देवी ने वर्तमान में महिला मंडल जावण तथा स्वयं सहायता समूह लक्ष्मी की महिलाओं को साथ जोड़कर रेशम कीट पालन का काम शुरू किया। आज न केवल स्वयं रोजगार कमाकर आत्मनिर्भर हुई है बल्कि क्षेत्र की करीब पचास महिलाओं को रेशम कीट के बारे में जानकारी देकर आत्मनिर्भर बना रही है।
दच्छैण गांव की राधा देवी, रक्षा देवी, र्देंवद्रा कुमारी, प्रेमी देवी, शाड़ी देवी, सरीता देवी राम प्यारी, रीतादेवी तथा बेगीराम का कहना है कि आज युवाओं को घरद्वार पर प्रदेश सरकार सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। बेरोजगार युवा को सरकारी नौकरी के स्थान पर रेशम कीट पालन जैसे व्यवसायों के माध्यम से अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। शहतूत के पौधे जहां रेशम के कीट के आहार के काम आते हैं वहीं पर दुधारू पशुओं के बारे में भी इनका प्रयोग किया जा सकता है।
यह पर्यावरण को साफ सुथरा बनाए
रखने में भी सहायक होते है। बेरोजगार युवक तथा युवतियां तीस से पैंतालीस दिनों में रेशमकीट पालन से माह में 15 से 20 हजार रूपये की आमदानी प्राप्त कर सकते हैं। प्रदेश सरकार महिलाओं, युवकों, गरीबों तथा बेसहारा लोगों के उत्थान के लिए प्रयास कर रही है। रेशमकीट पालन को बढ़ावा देने के लिए सेरीकल्चर क्लस्टर बनाए गए हैं। रेशम उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए रेशम साथी भी नामित किए गए हैं। प्रदेश सरकार की योजनाओं
के बूते ही वह आज आत्मनिर्भर हो पाई है। अब क्षेत्र की दूसरी महिलाओं को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।