लड़के चिढ़ाते थे, मैंने लड़कर नहीं रफ्तार से दिया जवाब
श्रिया लोहिया ने कहा कि बेंगलुरु में कार्टिग रेस के प्रशिक्षण के दौरान लड़के चिढ़ाते थे मगर उसने हार नहीं मानी।
कुलभूषण चब्बा, सुंदरनगर
बेंगलुरु में कार्टिग रेस के प्रशिक्षण के दौरान लड़के चिढ़ाते थे कि एक छोटी सी लड़की रफ्तार के इस खेल में टिक नहीं पाएगी। इस संबंध जब माता-पिता से बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि यदि तुम्हें लड़कों की इस बात को गलत साबित करना है तो कड़ी मेहनत के साथ अपनी रफ्तार को और बढ़ाना होगा। बस, उसी क्षण मन में ठान लिया कि लड़कों को मुंहतोड़ जवाब उनसे लड़कर नहीं बल्कि ट्रैक पर अपनी रफ्तार से देना है और ऐसा कर दिखाया। कार्टिग रेस में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त करने वाली सुंदरनगर के महादेव निवासी 13 वर्षीय श्रिया लोहिया ने यह बात दैनिक जागरण प्रतिनिधि से कही।
श्रिया ने कहा प्रशिक्षण के दौरान लड़कों के चिढ़ाने का यह क्रम कोई एक या दो दिन नहीं बल्कि कई दिन तक चला। पहली बार के बाद मैने फिर कभी इसकी शिकायत माता-पिता से नहीं की। लड़के कहते रहते थे और मैं सिर्फ प्रशिक्षण पर ध्यान देती थी। कई प्रतियोगिताओं में जीत भी हासिल की लेकिन अभी यह शुरुआत है या यूं कहें कि मेरी कार्टिग रेस का अभी प्रशिक्षण चल रहा है। मेरा सपना फार्मूला वन रेसर बनना है। मंजिल अभी दूर है और इसके लिए मेरी कड़ी मेहनत जारी है। यह सपना पूरा करना है। डरी नहीं, न हिम्मत हारी
श्रिया ने कहा कि बेंगलुरु में प्रशिक्षण के पहले ही दिन उनकी गाड़ी को दूसरे रेसर ने टक्कर मार दी। गाड़ी कई पलटे खाती हुई करीब 50 मीटर आगे जाकर रुकी। इसके बाद कई प्रतियोगिताओं में भी दूसरे रेसर की गाड़ी टकराने से करीब तीन बार एक्सीडेंट हुए। मैं डरी नहीं और न ही हिम्मत हारी। गिरी, फिर उठी और कार का स्टीयरिग हाथों में थाम लिया।