हिमाचल का लाल आलू रखेगा सेहत का ख्याल, हृदय रोगी भी कर सकते हैं सेवन; जानिए और भी खूबियां
Red potato Himachal विटामिन कार्बोहाइड्रेट व फाइबर से भरपूर लाहुल घाटी में पैदा होने वाला लाल आलू सेहत का ख्याल भी रखेगा। वसा कोलेस्ट्रोल मुक्त व कम मात्रा में सोडियम होने से संतुलित आहार में इसका कोई मुकाबला नहीं है।
मंडी, हंसराज सैनी। विटामिन, कार्बोहाइड्रेट व फाइबर से भरपूर लाहुल घाटी में पैदा होने वाला लाल आलू सेहत का ख्याल भी रखेगा। वसा, कोलेस्ट्रोल मुक्त व कम मात्रा में सोडियम होने से संतुलित आहार में इसका कोई मुकाबला नहीं है। मक्खन जैसा स्वाद इसे और लजीज बनाता है। इसे भून कर खाएं या सब्जी व परांठा बनाकर, स्वाद लाजवाब है। इन्हीं खूबियों के चलते लाहुल-स्पीति जिले में बड़ी संख्या में किसान अब लाल आलू का उत्पादन करने लगे हैं। जिले में करीब 958 हेक्टेयर भूमि में आलू की खेती होती है। किसान कारोबार के लिए संताना आलू का उत्पादन करते हैं।
संताना से चिप्स व बीज बनता है, यह खाने में स्वादिष्ट नहीं होता है। लाल आलू को पांगी आलू भी बोलते हैं। इसका बीज कहां से आया, इसको लेकर विभिन्न मत हैं। कुछ लोग रहते हैं कि चंबा जिले के पांगी से इसका बीज लाया गया था। धीरे-धीरे किसानों ने इसका उत्पादन करना शुरू कर दिया। कुछ लोग इसे कुफरी लालिमा की किस्म बताते हैं।
लाल आलू की खूबियां
आलू की दूसरी किस्मों के मुकाबले इसका छिलका पतला होता है। इसे छिलके के साथ खाया जाता है। छिलके में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला फाइबर पाचन क्रिया को मजबूत करता है। वसा व कार्बोहाइड्रेट फ्री होने के साथ कम मात्रा में सोडियम होने से हृदय रोगी भी लाल आलू का सेवन कर सकते हैं। इसमें बड़ी मात्रा में विटामिन सी होती है जोकि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती है। विटामिन बी6, कॉपर, पोटाशियम व मैग्निशियम भी पाया जाता है।
हृदय रोग व कैंसर से बचाव
लाल आलू में कम मात्रा में कैलोरी व अधिक फाइबर होता है। इस खूबी के कारण हृदय रोग व कैंसर से बचाव करता है। भूनने व उबालने पर भी इसके स्वाद में फर्क नहीं आता है।
संताना के अलावा लाल आलू को भी तरजीह
एडीओ केलंग अंजू ठाकुर का कहना है लाहुल के किसान संताना के अलावा लाल आलू का उत्पादन भी कर रहे हैं। खुद उपयोग करने के अलावा बेच भी रहे हैं। मार्केट में भी धीरे-धीरे इसकी मांग बढ़ने लगी है। अन्य किस्मों के मुकाबले लाल आलू में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं।
किसान दिखा रहे रुचि
विभागाध्यक्ष सामाजिक विज्ञान केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला डा. एनके पांडे का कहना है संस्थान ने कुछ साल पहले लाहुल के किसानों को कुफरी सिंदूरी व कुफरी लालिमा किस्म की आलू का बीज दिया था, मगर किसानों ने उत्पादन की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। अब किसानों ने लाल आलू के उत्पादन में रुचि दिखाई है। लाल आलू में अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं।