सऊदी से सकुशल लौटे राकेश ने सुनायी आपबीती कहा- सिर्फ चार साल ही दी पगार फिर गुलामी
आठ साल तक सऊदी अरब में राकेश नौकरी करने के बाद खाली हाथ घर लौटा है। इतना ही नहीं घर वापसी के लिए हवाई टिकट का प्रबंध भी मेहनत मजदूरी करके करना पड़ा।
मंडी, हंसराज सैनी। बल्ह घाटी के स्टोह गांव का राकेश आठ साल बाद सऊदी अरब से सकुशल स्वदेश लौट आया है। राकेश के घर पहुंचने पर परिजनों ने राहत की सांस ली है। आठ साल तक सऊदी अरब में नौकरी करने के बाद वह खाली हाथ घर लौटा है। इतना ही नहीं घर वापसी के लिए हवाई टिकट का प्रबंध करने के लिए उसे मेहनत मजदूरी करनी पड़ी। इतने सालों से जिस ठेकेदार के पास काम कर रहा था। उसने भी हवाई टिकट के लिए पैसा नहीं दिया।
श्रम न्यायालय से भी न्याय नहीं मिला। आठ साल में उसे सिर्फ चार साल की पगार मिली, चार साल गुलामी में गुजारने पड़े। राकेश को नाचन हलके के ट्रेवल एजेंट कादर अली ने 2011 में सऊदी अरब भेजा था। साक्षात्कर के बाद चयन होने पर उसे 1500 रियाल मासिक वेतन देने की बात कही गई थी।
वह जेसीबी ऑपरेटर के तौर पर सऊदी अरब गया था। ट्रेवल एजेंट ने किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए चयनित किए जाने की बात कही थी। सऊदी अरब पहुंचने पर उसे तथा उसके साथियों को ताहीर सादिक नामक एक ठेकेदार के हवाले कर दिया। ताहीर सादिक लेबर सप्लायर है। चार साल तक वह राकेश व उसके साथियों को 1500 के बजाय 1200 रियाल मासिक पगार देता रहा।
खाना बनाने की व्यवस्था भी खुद करनी पड़ी। चार साल बाद उसने पगार देना बंद कर दी और रोजाना दस-दस घंटे गुलामी यानी मुफ्त में काम करवाता था। सिर्फ हर माह खाने के लायक पैसे देता था। पासपोर्ट भी अपने पास रख लिया था। विरोध जताने या पगार मांगने पर झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी जाती थी।
बकौल राकेश, ताहीर सदीक ने 200 से अधिक भारतीयों को बंधक बना रखा है। इसमें अधिकांश लोग उत्तर प्रदेश व बिहार के रहने वाले हैं। दो माह पहले सऊदी अरब में हिमाचल के 14 युवाओं को बंधक बनाने का मामला सामने आया था। इसके बाद राकेश के पिता दौलत राम ने भी प्रशासन के समक्ष उसके बेटे के आठ साल से सऊदी अरब में फंसे होने की बात कही थी। दैनिक जागरण में मामला प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद प्रदेश सरकार ने विदेश मंत्रालय को अवगत करवाया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीय दूतावास से रिपोर्ट तलब की थी।
सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने जांच पड़ताल शुरू की तो खुद को कानूनी प्रक्रिया में फंसता देख ताहीर सदीक ने राकेश को उसका पासपोर्ट लौटा दिया। इसके बाद उसने टिकट के लिए पैसों को प्रबंध किया। चार साल तक बिना पगार काम करने से राकेश का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। वह ठीक से कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। घर पहुंचने के बाद खुद को कमरे में बंद कर लिया है। खाली हाथ ही सही मगर बेटे के आठ साल बाद घर सकुशल पहुंचने पर मां-बाप खुश हैं।