Move to Jagran APP

धरमाण मंडी में बिना बोली बेची जा रही सब्जी

संवाद सहयोगी बरोट छोटा भंगाल घाटी के किसानों को उनके सब्जी का सही दाम नहीं मिल पा र

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 11:41 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 11:41 PM (IST)
धरमाण मंडी में बिना बोली बेची जा रही सब्जी
धरमाण मंडी में बिना बोली बेची जा रही सब्जी

संवाद सहयोगी, बरोट : छोटा भंगाल घाटी के किसानों को उनके सब्जी का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। किसानों का आरोप है कि धरमाण मंडी में बिना बोली के ही सब्जी बेची जा रही हैं। किसानों ने ठेकेदार और आढ़तियों पर मनमानी का आरोप लगाया है। क्षेत्र में 157 हेक्टेयर में खेती होती है।

prime article banner

धरमाण मंडी में रोजाना 300 क्विंटल के करीब आजकल गोभी, बंद गाभी, बक्रोली, चाइना गोभी सहित अन्य सब्जियां पहुंच रही हैं। नेर गांव के सब्जी उत्पादक शिव कुमार, तारा चंद, धरमाण गांव के रामसरन, जितेन्द्र, रागी राम, जगदेव सिंह ने बताया कि किसान सब्जियों को बेचने के लिए धरमाण मंडी ला रहे हैं, लेकिन तीन-चार दिन से उनकी सब्जियों की ठेकेदारों द्वारा बोली न करवाने से सस्ते दाम में ही खरीद रहे हैं। विरोध करने पर भी कार्रवाई नहीं होती है। आरोप लगाया कि आढ़तियों और ठेकेदारों की मिलीभगत चल रही है। मंडी में आजकल प्रतिदिन लगभग 300 क्विंटल सब्जी जिसमें फूल गोभी, बंद गोभी, चाइना गोभी, ब्रोकली, मूली तथा धनिया आदि पहुंचते हैं, लेकिन सही दाम न मिलने के कारण वह मायूस हैं।

वहीं जिला परिषद सदस्य पवना देवी, जनकल्याण सभा के प्रदेशाध्यक्ष चुनी लाल ने प्रशासन तथा मार्केटिग बोर्ड से सब्जी मंडी धरमाण का जायजा लेने और किसानों को उचित दाम मुहैया करवाने की मांग की है। सब्जी मंडी धरमाण में अगर ठेकेदार मौजूद हो तो तैनात आढ़ती बोली अवश्य करवाएं। बोली नहीं करवाई जा रही है तो बैजनाथ के कार्यरत बोर्ड के कर्मचारी व सब्जी मंडी धरमाण के इंचार्ज को उपस्थित रहने के आदेश दे दिए जाएंगे।

-पीएस पठानिया, सहसचिव मार्केटिग बोर्ड कांगड़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.