पंजाब सरकार को किसानों की नहीं, वोट बैंक की चिंता : परमा राम
जागरण संवाददाता मंडी पंजाब सरकार को किसानों की नहीं वोट बैंक की चिंता सता रही ह
जागरण संवाददाता, मंडी : पंजाब सरकार को किसानों की नहीं, वोट बैंक की चिंता सता रही है। किसानों को गुमराह कर आंदोलन करने के लिए मजबूर किया गया है। किसान संगठन कई साल से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग कर रहे थे। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित एवं प्रदेश के प्रगतिशील किसान परमाराम चौधरी ने कहा कि कृषि कानून लागू होने से बिचौलियों के हाथ लुटने के बजाय किसान अपने उत्पाद देश के किसी कोने में बेच सकते हैं।
नए कृषि कानून का विरोध सिर्फ पंजाब में हो रहा है क्योंकि वहां के मुख्यमंत्री ने इसे अपना राजनीतिक एजेंडा बना रखा है। किसानों को आंदोलन के लिए उकसाया गया है। देश के अन्य राज्यों के किसान कृषि कानून को भलीभांति समझ चुके हैं। कृषि क्षेत्र में सुधार करने की कवायद 15 साल से चल रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मिनिमम सपोर्ट प्राइज (एमएसपी) को लेकर बार-बार आश्वासन दे रहे हैं। गुमराह हो चुके किसान उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है जो तर्कसंगत नहीं है।
वहीं, कृषि विभाग से सेवानिवृत्त उपनिदेशक एआर शर्मा का कहना है कृषि कानून 100 फीसद किसानों के हक में हैं। कुछ लोग बेवजह किसानों को कानून व उद्योगपतियों का भय दिखा रहे हैं। कल तक यही लोग स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग करते आ रहे थे।
सराज के खुनागी के प्रगतिशील किसान मनोज कुमार का कहना है यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। नए कानून में पहली बार यह छूट मिली है किसान व बागवान कहीं पर भी अपनी फसल बेच सकते हैं। पहले फसल बेचने के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।