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सरकार बचानी है तो केंद्र लागू करे पुरानी पेंशन : नरेश

2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में अगर सरकार को बचाना है तो देश में पुरानी पेंशन योजना को लागू करना होगा । रविवार को मंडी संसदीय क्षेत्र के सांसद रामस्वरूप शर्मा के आवास पर एनपीएस कर्मचारियों के उपवास कार्यक्रम के दौरान प्रदेश अध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि कर्मचारी अपनी जवानी कार्यालय में अपनी सेवा पर समर्पित कर देता है । बुढ़ापे के समय समानजनक पेंशन दिलवाना सत्तासीन सरकारों की नैतिक जिम्मेवारी है। उन्होंने एनपीएस को तत्काल प्रभाव से बंद करने के साथ साथ पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग करते हुए कहा की लोकसभा चुनावों में कर्मचारी उसी सरकार को वोट देगा जो कर्मचारियों की हित की बात करेगा

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 08:30 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 08:30 PM (IST)
सरकार बचानी है तो केंद्र लागू करे पुरानी पेंशन : नरेश
सरकार बचानी है तो केंद्र लागू करे पुरानी पेंशन : नरेश

संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अगर सरकार को बचाना है तो पुरानी पेंशन योजना को लागू करना होगा। रविवार को मंडी संसदीय क्षेत्र के सांसद रामस्वरूप शर्मा के आवास पर एनपीएस कर्मचारियों के उपवास के दौरान प्रदेश अध्यक्ष नरेश चौहान ने यह बात कही। उन्होंने कहा कर्मचारी अपनी जवानी कार्यालय में अपनी सेवा पर समर्पित कर देता है। बुढ़ापे के समय सम्मानजनक पेंशन दिलवाना सत्तासीन सरकारों की नैतिक जिम्मेवारी है। उन्होंने एनपीएस को तत्काल प्रभाव से बंद करने के साथ पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा लोकसभा चुनाव में कर्मचारी उसी सरकार को वोट देगा जो उनकी हित की बात करेगा, अन्यथा चुनाव का वहिष्कार करने से भी कर्मचारी गुरेज नहीं करेंगे।

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एनपीएस कर्मचारी महिला ¨वग की प्रदेश अध्यक्ष सीमा चौहान ने कहा पेंशन सुविधा सत्तासीन सरकारों द्वारा दी जाने वाली कोई सौगात नहीं है, यह कर्मचारियों की मेहनत का हक है। मुख्य प्रवक्ता विशाल शर्मा ने कहा देश में सबसे पहले एनपीएस हिमाचल प्रदेश में लागू कर लाखों कर्मचारियों के साथ धोखा किया गया है। कर्मचारियों का यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं है। चरणबद्ध तरीके से पहले प्रदेश के विधायकों, सांसदों यहां तक की मुख्यमंत्री के माध्यम से प्रदेश और क्रेंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपकर चेताया जा चुका है। लेकिन कोई भी सकारात्मक परिणाम न आने के करण कर्मचारियों को अब अपने हितों की रक्षा के लिए सड़क पर उतरना पड़ रहा है।

कर्मचारी महासंघ ने दो टूक चेतावनी दी है अब भी अगर सरकारें नहीं जागी तो 26 नवंबर को देश के 27 राज्यों के दस लाख से अधिक कर्मचारी संसद का घेराव करेंगे। उपवास कार्यक्रम के तहत देश के 545 सांसदों को चेताया जा चुका है। अब उग्र प्रदर्शन के गंभीर परिणामों को भुगतने के लिए सत्तासीन सरकार तैयार रहे।


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