शिक्षक की मेहनत तराश रही नन्हें वैज्ञानिक, सरकारी स्कूल के होनहारों के बनाए माडल छाए
Nagwain School Science Teacher राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नगवाईं के विज्ञान अध्यापक पंकज वर्मा भी ऐसे ही शिक्षक हैं जो नन्हें वैज्ञानिकों को तराश रहे हैं। अटल टिंकरिंग लैब में विद्यार्थियों के साथ नए-नए माडल बनाकर उन्होंने बच्चों की प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाई है।
मंडी, मुकेश मेहरा। स्कूल में शिक्षक के हाथों तराशा विद्यार्थी नाम कमाता है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नगवाईं के विज्ञान अध्यापक पंकज वर्मा भी ऐसे ही शिक्षक हैं, जो नन्हें वैज्ञानिकों को तराश रहे हैं। अटल टिंकरिंग लैब में विद्यार्थियों के साथ नए-नए माडल बनाकर उन्होंने बच्चों की प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाई है। मूलत: मंडी जिला के गोहर के रहने वाले पकंज की पहली तैनाती कुल्लू के रावमापा काईस में हुई थी। यहां पर भी उनके मार्गदर्शन में बच्चों द्वारा बनाए गए माडल्स को गुजरात, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद में यूएनओ की ओर से आयोजित कार्यक्रम तक गए। काईस स्कूल के 15 माडल ने राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान कांग्रेस प्रतियोगिता में पहचान बनाई और सात विद्यार्थियों को इसके लिए सम्मान मिला।
इसके बाद बजौरा स्कूल और अब रावमापा नगवाई के विद्यार्थी पंकज के मार्गदर्शन में झंडे गाड़ रहे हैं। इस स्कूल के छात्र द्वारा बनाया गए टनल के अंदर के धूल-मिट्टी को बाहर निकालने के आटोमैटिक एग्जास्ट सिस्टम के माडल को अंतरराष्ट्रीय में भी पहचान मिली थी। इसके अलावा ऊंचाई पर लगे सेब को तोड़ने के लिए बनाया गया प्लकर, कप व ग्रोसरी बनाने का तरीका, ओटोमैटिक चूल्हा और हाल ही में नगवाई स्कूल के बच्चों द्वारा बनाया गया मंगलयान का माडल भी देश भर के पहले सात मॉडल्स में चयनित रहा है। पंकज बताते हैं कि उनका उद्देश्य विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रूचि जगाना है, ताकि वह इस क्षेत्र में आगे चलकर स्कूल, प्रदेश व देश का नाम रोशन कर सकें। उनके पास नगवाई में 350 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
यह है भविष्य की योजना
पंकज बताते हैं कि नगवाई स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए माडल्स को अब हम पेटेंट करवाने जा रहे हैं। इसमें सेब तोड़ने का पल्कर, आटोमैटिक एग्जास्ट सिस्टम का माडल, इनोवेटिड चूल्हा शामिल हैं। इसके लिए आनलाइन प्रक्रिया आरंभ की गई है।