Mandi News: सौंठ के नाम पर बेचा कपूर कचरी का बीज, फसल तैयार होने पर नहीं मिली मार्केट, किसान ठगे
कुछ संस्थानों ने किसानों को कपूर कचरी का बीज सौंठ के नाम पर बेचकर ठगा है। फसल तैयार होने के बाद किसानों को मार्केट नहीं मिली। बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने एडवाइजरी जारी कर कहा कि सौंठ की खेती नहीं होती। 18001205778 राष्ट्रीय हेल्पलाइन से संपर्क कर सकते हैं।
जागरण संवाददाता, मंडी: प्रदेश के किसानों को कुछ संस्थानों ने कपूर कचरी का बीज सौंठ के नाम पर बेचकर ठगा है। फसल तैयार होने पर जब इसकी मार्किट किसानों को नहीं मिली तो इसकी शिकायतें राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय जोगेंद्रनगर पहुंची। जांच के दौरान यह पाया गया कि किसानों को कपूर कचरी नामक औषधीय पौधा सौंठ कहकर बेचा गया था। बोर्ड ने इस पर तुरंत एडवाइजरी जारी कर कहा कि सौंठ की खेती नहीं होती है तथा किसान सावधान रहें।
अदरक को सुखाकर बनती है सौंठ
कपूर कचरी नामक जंगली पौधा आसानी से मिल जाता है तथा इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन बनाने में होता है। बोर्ड को मिली 50 के करीब शिकायतों में कहा गया कि कुछ किसान सौंठ की खेती करने का दावा कर रहे हैं । इसका बीज कुछ सरकारी व गैर सरकारी अनुसंधान संस्थानों से मिल रहा है। किसानों ने इसे खरीदकर जब खेती की तो इसका दाम ही नहीं मिला।
पादप बोर्ड के पास जब मामला पहुंचा तो यह पाया गया कि सौंठ नहीं बल्कि कपूर कचरी का पौधा है। ऐसे में अब बोर्ड ने एडवाइजरी जारी कर किसानों को सचेत रहने के लिए कहा है। बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि सौंठ अदरक को विशेष विधि से सुखाकर कर बनाया जाता है। इसका पौधा नहीं होता है। शटी नामक पौधे जिसे कपूर कचरी सौंठ के नाम भ्रमित हो रहे हैं।
स्लाद के रूप में किया जा रहा था प्रयोग
कपूर कचरी हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भी पाई जाती है। किसान भ्रमित न हों और 18001205778 राष्ट्रीय हेल्पलाइन या क्षेत्रीय कार्यालय जोगेंद्रनगर से संपर्क कर सकते हैं। बोर्ड की जांच में पाया कि शिमला व हिमाचल के कुछ शहरों में इस सौंठ को स्लाद के रूप में भी परोसा जा रहा है। बोर्ड के विशेषज्ञ समिति के प्रो.डीआर नाग, डा..अरुण चंदन, डा..सौरभ शर्मा, डा. शीतल चंदेल एवं डा. पंकज पालसरा ने कहा कि जैसे गुड का पौधा नहीं होता उसी तरह सौंठ का नहीं होता।
कपूर कचरी को सौंठ का पौधा बताकर किसानों को बीज देने के मामले सामने आए हैं। सौंठ का कोई पौधा नहीं होता। ऐसे में किसान सचेत रहें भ्रामक प्रचार से बचें। किसी भी जानकारी के लिए बोर्ड पादप बोर्ड से संपर्क करें या 18001205778 राष्ट्रीय हेल्पलाइन से भी जानकारी लें।