निजी स्कूलों की फीस पर बहस ठीक नहीं : यूएस चौहान
निजी स्कूलों की एडमिशन फीस वार्षिक फीस व मासिक फीस पर चर्चा चल रही है। निजी स्कूल प्रबंधक एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष युएस चौहान ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया व प्रदेश के गरीब बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की साजिश करार दिया। उन्होंने साफ किया कि अभिाभावक अपनी सुविधानुसार बच्चों को
सहयोगी, पद्धर : प्रदेश में आए दिन निजी स्कूलों की एडमिशन फीस, वार्षिक फीस व मासिक फीस पर चर्चा चल रही है। निजी स्कूल प्रबंधक एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष यूएस चौहान ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया व प्रदेश के गरीब बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की साजिश करार दिया। उन्होंने साफ किया कि अभिभावक अपनी सुविधानुसार बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। स्कूल की पूरी जिम्मेदारी के साथ सस्ती दरों पर गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। प्रदेश के 90 फीसद स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। जहां 4,00 रुपये में एक विषय पढ़ाया जा रहा है। सरकार एक बच्चे पर 50 से 60 हजार रुपये खर्च कर रही है। जबकि निजी स्कूल का खर्चा 15 से 20 हजार है। इसमें सब प्रकार की फीस सम्मिलित है। किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति पैदा करना उचित नहीं है। अभिभावक स्वेच्छा से स्कूल का चयन करते हैं। यदि कोई स्कूल शहरों में स्थित हैं, अधिक पैसा ले रहे हैं तो उनका आकलन किया जाए, लेकिन सभी स्कूलों को टारगेट करना उचित नहीं है।