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मंदिरों के प्रसाद से दूर होगा नौनिहालों का कुपोषण, प्रशासन ने लागू की नयी व्यवस्था

बाबा भूतनाथ व महामृत्युंजय मंदिर का प्रसाद आंगनबाड़ी केंद्रों में परोसा जाएगा जिससे गरीब बच्चों को भरपूर पोषण मिल सके।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 08:15 AM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 08:15 AM (IST)
मंदिरों के प्रसाद से दूर होगा नौनिहालों का कुपोषण, प्रशासन ने लागू की नयी व्यवस्था
मंदिरों के प्रसाद से दूर होगा नौनिहालों का कुपोषण, प्रशासन ने लागू की नयी व्यवस्था

मंडी, जेएनएन। छोटी काशी में अब मंदिरों के प्रसाद से नौनिहालों का कुपोषण दूर होगा। जिला प्रशासन ने बाबा भूतनाथ व महामृत्युंजय मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ा जाने वाले फलों व नारियल को आंगनबाड़ी केंद्रों में परोसने का निर्णय लिया है। दोनों मंदिरों की देखरेख का दायित्व जिला प्रशासन के पास है। रोजाना यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। विभिन्न प्रकार के फल व नारियल आदि चढ़ाते हैं। दोनों मंदिरों के पुजारी अकसर फल व नारियल मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं में वितरित कर देते हैं।

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कुछ यहां तैनात कर्मचारी आपस में बांट लेते हैं। इसे देखते हुए प्रशासन ने फलों व नारियल का सही सदुपयोग करने का निर्णय लिया है। दोनों मंदिरों में सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। श्रद्धालुओं व आम लोगों को जागरुक करने के लिए मंदिर के प्रवेश द्वार व अंदर सूचना बोर्ड लगाए जाएंगे। इसमें पोषण अभियान के तहत फलों व नारियल के उपयोग की जानकारी दी जाएगी। श्रद्धालुओं को इस पुण्य कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। 

प्रशासन श्रद्धालुओं से फल व नारियल का भोग लगाने के बाद उन्हें मंदिर में तैनात सुरक्षा गार्ड को सौंपने का आग्रह करेगा। दोपहर तक जो फल व नारियल एकत्र होंगे आंगनबाड़ी केंद्र सहायिका या फिर स्वयंसेवी संस्थाओं के स्वयंसेवियों के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचाए जाएंगे। वहां फिर उन्हें बच्चों को परोसा जाएगा। प्रशासन की इस मुहिम में सर्व सेवता समिति ने भी योगदान देने की हामी भरी है।

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प्रथम चरण में यह अभियान शहर के आंगनबाड़ी केंद्रों से शुरू होगा। सार्थक परिणाम सामने आने पर इसे ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों में भी शुरू किया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अभी दलिया, बिस्कुट व न्यूट्रीमिक्स आदि परोसा जाता है। फल आदि परोसने का कोई प्रावधान नहीं है। रोजाना फल मिलने से बच्चों में मौजूद कुपोषण भगाने में मदद मिलेगी। इसके लिए सरकार व प्रशासन को कोई पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ेगा।

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