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वादों से आगे नहीं बढ़ी सरकार, कोटरोपी प्रभावितों को पुनर्वास का इंतजार

आशीष भोज पद्धर मंडी जिले के कोटरोपी में पहाड़ दरकने से प्रभावित हुए परिवारों का तीन साल

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 07:12 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 07:12 PM (IST)
वादों से आगे नहीं बढ़ी सरकार, कोटरोपी प्रभावितों को पुनर्वास का इंतजार
वादों से आगे नहीं बढ़ी सरकार, कोटरोपी प्रभावितों को पुनर्वास का इंतजार

आशीष भोज, पद्धर

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मंडी जिले के कोटरोपी में पहाड़ दरकने से प्रभावित हुए परिवारों का तीन साल बाद भी पुनर्वास नहीं हो पाया है। आश्वासनों के सब्जबाग दिखाने वाले नुमाइंदे अब सुर बदलने लगे हैं। सरकार प्रभावित परिवारों को जमीन आवंटन के नाम पर कागजी फेर में उलझी है।

पूर्व कांग्रेस सरकार ने प्रभावित परिवारों को मकान निर्माण के लिए जमीन देने का वादा किया था। उसी साल दिसंबर में सत्ता परिवर्तन होते ही जयराम सरकार ने त्रासदी में प्रभावित सभी 13 परिवारों की जितनी जमीन क्षतिग्रस्त हुई थी, को पूरी जमीन देने का एलान किया। घटना में कुल 25 बीघा जमीन तबाह हुई थी। इसकी भरपाई और पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन ने राजस्व विभाग को 25 बीघा का एकमुश्त रकबा वन अथवा सरकारी भूमि में तलाश करने के आदेश दिए। राजस्व विभाग ने पंचायत उरला के खाभल और बधौनीधार में एकमुश्त 25 बीघा सरकारी भूमि के कागज तैयार कर प्रशासन के माध्यम से सचिव राजस्व को भेजे। तीन साल बीतने के बाद भी प्रभावित परिवारों को न जमीन और न ही रहने का स्थायी ठिकाना मिल पाया है। अब सरकार के नुमाइंदे भी सुर बदलने लगे हैं। स्थानीय विधायक का कहना है राजस्व विभाग के रिकार्ड अनुसार किसी भी प्रभावित की जमीन का इस त्रासदी में कोई नुकसान नहीं हुआ है।

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11 परिवार हुए थे बेघर

कोटरोपी और रवा गांव के 11 परिवार बेघर हुए थे। इनमें दूनी चंद, मान चंद, ज्ञान चंद, चौबे राम, भोला राम, मनी राम, जय चंद, लुगू राम, साजु राम, सीता राम और फुली राम शामिल हैं। त्रासदी के बाद बड़वाहण, रोपा और पंदलाही गांव खतरे की जद में आए थे। सराजबागला गांव के नीचे पहाड़ी में दरारें आने से गांव के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया था। अब भी भारी बारिश में गांव के लोग सहम जाते हैं।

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48 यात्रियों की हुई थी मौत

12 अगस्त रात करीब साढ़े बारह बजे हुई इस घटना में 48 लोगों की मौत हो गई थी। एचआरटीसी की मनाली से धर्मशाला व पठानकोट से मनाली जा रही एचआरटीसी की बसें मलबे की चपेट में आई थी। लगभग 72 घंटे तक रात दिन रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहने के बाद मलबे में दबी बस में सवार यात्रियों के शव निकाले गए थे। दो शवों का अब तक सुराग नहीं लग पाया है।

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24 दिन बंद रहा था एनएच

घटना के एक साल बाद 2018 में कोटरोपी में सड़क बह जाने से मंडी-पठानकोट एनएच 24 दिन बंद रहा था। लोगों की सुरक्षा को लेकर जहां आइआइटी मंडी के इंजीनियरों ने पहाड़ियों में सूचना चेतक यंत्र लगाए थे। एनएच के दोनों छोर पर चेकपोस्ट बनाई गई थी। इस बार न तो कोई चेकपोस्ट बनी, बल्कि घटनास्थल पर लगाई गई सोलर लाइटे भी गायब हैं।

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एक परिवार पटवार घर तो एक ने बीओ आवास में ली है पनाह

प्रभावितों में एक परिवार तीन साल से राजस्व विभाग के पटवार घर के एक कमरे में रह रहा है। वहीं एक परिवार ने वन विभाग के बीओ आवास में पनाह ले रखी है। तीन परिवार पद्धर में किराये का मकान लेकर रह रहे हैं। अन्य कुल्लू जिले में अपने पुराने घर मे रह रहे हैं।

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प्रभावितों का छलका दर्द

कई बार विधायक और मुख्यमंत्री से मिले। हर बार जल्द कार्रवाई करने और मकान निर्माण के लिए जमीन देने की बात की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला। अब परिवार के साथ पद्धर में किराये का मकान ले कर रह रहे हैं। मजदूरी करके परिवार पाल रहे हैं।

-मान चंद व कमला देवी, प्रभावित दंपती।

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हम गरीबों के साथ ऐसी घटना हुई है, लेकिन सरकार के मंत्री और विधायक हैं की आश्वासनों के सिवाय कुछ नहीं कर रहे। जहां भी मंत्री, विधायक और सीएम के आने की खबर मिलती है हम लोग फरियाद के लिए पहुंचते हैं, लेकिन आज तक निराश होकर ही लौटे हैं।

-रामकली, प्रभावित।

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कोई नहीं सुनता जी, हम सबके लिए मजाक बन गए हैं। कहां-कहां हमने गुहार नहीं लगाई। सब जगह यही सुनने को मिला कि जल्दी ही जमीन मिलेगी और घर बन जाएगा। पेट में बच्चा था और तिरपाल में रातें गुजारी हैं। अब दिहाड़ी लगाकर परिवार की आजीविका चल रही है।

-सोमा देवी, प्रभावित।

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तीन साल से मंत्रियों और विधायकों के पास चक्कर काटते आए हैं। कई बार मुख्यमंत्री से भी मिले, लेकिन आज तक कुछ नही हुआ। अब लुहार का काम करके थोड़ा बहुत कमा लेता हूं। परिवार वन विभाग के बीओ क्वार्टर के एक कमरे में रहता है।

-ज्ञान चंद, प्रभावित।

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पंचायत के माध्यम से दो-तीन बार प्रभावित परिवारों के कागजात की फाइल डीसी और सरकार को भेजी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इतनी भीषण त्रासदी के बावजूद सरकार की उदासीनता समझ से परे है।

-रेखा देवी, प्रधान ग्राम पंचायत उरला।

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कोटरोपी घटनास्थल में रेस्टोरेशन वर्क चल रहा है। करीब 75 लाख रुपये क्रेट वायर और सीमेंट कंक्रीट वर्क पर व्यय किए जा रहे हैं। ठेकेदार के माध्यम से कार्य किया जा रहा है।

-नीरज शर्मा, सहायक अभियंता एनएच सब डिवीजन गुम्मा।

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कोटरोपी त्रासदी के प्रभावितों की कोई ज्यादा जमीन का नुकसान नहीं हुआ है। मेरे पास राजस्व विभाग द्वारा दी गई रिपोर्ट के तमाम दस्तावेज हैं। फिर भी मामला सरकार के समक्ष उठाऊंगा।

-जवाहर ठाकुर, विधायक द्रंग क्षेत्र।


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