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मैं जयराम को मासूम समझता था : वीरभद्र

पिता के कर्मों की सजा बेटे को नहीं मिलेगी। कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा एक स्वच्छ छवि के युवा हैं। उन्हें चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाना मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता रहेगी। शनिवार को मंडी संसदीय क्षेत्र के जोगेंद्रनगर व द्रंग हलके में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें झूठे आश्वासन और भ्रष्टाचार हरगिज पसंद नहीं है। 2014 में क्षेत्र की जनता ने रामस्वरू

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 07:23 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 06:34 AM (IST)
मैं जयराम को मासूम समझता था : वीरभद्र
मैं जयराम को मासूम समझता था : वीरभद्र

जागरण टीम, जोगेंद्रनगर/पद्धर : पिता के कर्मो की सजा बेटे को नहीं मिलेगी। कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा एक स्वच्छ छवि के युवा हैं उन्हें चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाना मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता रहेगी। शनिवार को मंडी संसदीय क्षेत्र के जोगेंद्रनगर व द्रंग हलके में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनावी सभा में कहा कि उन्हें झूठे आश्वासन और भ्रष्टाचार हरगिज पसंद नहीं है। 2014 में क्षेत्र की जनता ने रामस्वरूप शर्मा को यहां से विजयी बनाकर केंद्र में प्रदेश की पैरवी के लिए भेजा था। पांच साल तक रामस्वरूप शर्मा क्षेत्र का पक्ष नहीं रख पाए। प्रदेश में जातिवाद और क्षेत्रवाद की राजनीति फैलाकर भोलेभाले लोगों को ठगा गया है। इस चुनाव में रामस्वरूप शर्मा की जमानत जब्त होगी।

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शालीनता की बात को सब समझते हैं, लेकिन झूठ को कोई नहीं सहन करता। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास न कोई अनुभव है और न निर्णय लेने की क्षमता। मैं जयराम को पहाड़ी और मासूम आदमी सोचता था इसलिए आज तक कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन जयराम चालाक निकले। मुख्यमंत्री को नम्रता सीखनी चाहिए अन्यथा हमें भी जवाब देना आता है। पहाड़ी संस्कृति का आदमी मुख्यमंत्री बनकर इतना मदहोश हो जाएगा, कभी सोचा नहीं था। अभद्र भाषा का प्रयोग न कभी किया है और न कभी करूंगा। आश्रय होनहार है। छोटी उम्र का है। सबको आश्रय को कामयाब करने के लिए काम करना होगा। नरेंद्र मोदी की नीतियां और काम करने का तरीका एक तानाशाह की तरह रहा है।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय मंत्री होने के दौरान जब वह नरेंद्र मोदी के पास गए थे। उस वक्त उनका बात करने का तरीका सभ्य था, लेकिन आज असभ्य भाषा का प्रयोग मोदी करते हैं। ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि और नम्रता का एहसास करवाए। आजादी से लेकर अब तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं वे किसी भी पार्टी से संबंधित रहे हों, ऐसा तानाशाह कोई नहीं रहा। प्रधानमंत्री को यह ताकत तुच्छ राजनीति नहीं अपितु गरीबों की मदद और सही व्यवस्था पर लगानी चाहिए। प्रजातंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों का महत्व होता है।


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