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रोजाना उचित मात्रा में करें कैलोरी का सेवन

शरीर को ऊर्जा की आपूर्ति के लिए कैलोरी की जरूरत होती है लेकिन कैलोरी के अधिक सेवन से वजन बढ़ने की संभावनाएं होती हैं ।

By Edited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 05:20 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 01:47 PM (IST)
रोजाना उचित मात्रा में करें कैलोरी का सेवन
रोजाना उचित मात्रा में करें कैलोरी का सेवन

मंडी, जेएनएन । शरीर को ऊर्जा की आपूर्ति के लिए कैलोरी की आवश्यकता होती है जो भोजन से मिलती है। अगर शरीर की जरूरत से ज्यादा कैलोरी खाते हैं, तो वजन बढ़ने की संभावनाएं होती हैं और अगर कम कैलोरी का सेवन करते हैं तो शरीर में ऊर्जा की कमी होती है। इस कारण शरीर थका-थका महसूस करता है। इसलिए कैलोरी की सही मात्रा का सेवन करें व बच्चों को भी उचित कैलोरी के लिए संतुलित भोजन दें। कैलोरी खाद्य पदार्थों में ऊर्जा को मापने की यूनिट होती है। जितनी कैलोरी शरीर एक दिन में बर्न कर पाता है, वजन कम करने के लिए आपको उससे कम कैलोरी का सेवन करना होता है।

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जोनल अस्पताल में तैनात जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिनेश ठाकुर ने कहा कि प्रतिदिन कैलोरी की कितनी मात्रा का सेवन करना चाहिए, यह उम्र, लिंग, वजन, लंबाई और जीवनशैली आदि पर निर्भर करता है। हालांकि एक स्वस्थ पुरुष जो दिनभर में कुछ शारीरिक गतिविधि करता है या जिसकी जीवनशैली एक्टिव है, उसे प्रतिदिन में 2500 से 3000 तक कैलोरी का सेवन करना जरूरी है। इसमें 30 से 35 फीसद तक फैट होना चाहिए, 50 फीसद तक प्रोटीन व कार्बोहाइट्रेड की उचित मात्रा होनी चाहिए। वहीं एक स्वस्थ पुरुष, जो दिनभर में अधिक गतिविधि नहीं करता है या जिसकी जीवनशैली सक्रिय नहीं है उसे प्रतिदिन 2000 कैलोरी का सेवन करना चाहिए।

बच्चों के खानपान में न बरतें लापरवाही

बच्चों के खानपान में लापरवाही व उचित पोषण न मिलने के कारण कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। इसमें विशेषकर संयुक्त परिवार में बच्चों के खानपान में भेदभाव की एक प्रमुख कारण है। कई बार बड़े परिवार में कुछ बच्चों को भरपेट खाना मिलता है तो कुछ को पूरा पोषण नहीं मिलता। वहीं लड़कों के बजाय लड़कियों के पालन-पोषण में भेदभाव से भी बच्चे कुपोषण की चपेट में आ जाते हैं जो एक गंभीर समस्या है। जन्म के दौरान नवजात को मां का दूध उचित मात्रा में और निर्धारित समय तक न मिलने के कारण भी कुपोषण होने का खतरा रहता है। ऐसे में बच्चों को उचित पोषण व सही देखभाल से ही कुपोषण को रोका जा सकता है।


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