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देवताओं के शिवरात्रि प्रवास से देवालय सुनसान, दर्शन के लिए उमड़ रहा सैलाब

देवताओं के मंडी प्रवास के बाद से देवालय सुनसान हो गये हैं और दर्गम गांव के के लोग अकेला महसूस कर रहे हैं महोत्सव समाप्‍त होने के बाद ही देवता देवालयों में लौटेंगे।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 07:55 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 07:55 AM (IST)
देवताओं के शिवरात्रि प्रवास से देवालय सुनसान, दर्शन के लिए उमड़ रहा सैलाब
देवताओं के शिवरात्रि प्रवास से देवालय सुनसान, दर्शन के लिए उमड़ रहा सैलाब

मंडी, फरेंद्र ठाकुर। ’देव समागम अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में जिलाभर के अधिकतर देवी-देवता देवालय छोड़कर ऐतिहासिक मैदान पड्डल में पहुंच गए हैं। देवताओं के मंडी प्रवास के बाद क्षेत्र के देवालयों में सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग अपने इष्ट देवों की याद में विराह गीत गाकर समय  निकाल रहे है। देवालयों में सात दिन तक घंटियां नहीं बजेगी। मंडी में सालभर के बाद देवी-देवताओं का भगवान माधोराय के साथ मिलन हो रहा है लेकिन दुर्गम गांवों में देवताओं के जाने से लोग अकेला महसूस कर रहे हैं। शिवरात्रि महोत्सव के समाप्त होने के बाद सभी देवी-देवता अपने देवालयों की ओर प्रस्थान करेंगे। 28 फरवरी तक छोटी काशी में देवलोक सा अहसास होगा।

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देवताओं के कारकून मोहन सिंह, यादव राम और चमन राणा ने बताया कि गांव से देवता के जाने से लोगों को खालीपन महसूस होता है। हर दिन देवताओं की स्तुति करने वाले लोगों को एक दिन दूरी भी काफी लंबी लगती है। हालांकि देवताओं के अधिकतर कारकून देवताओं के साथ ही मंडी शिवरात्रि प्रवास पर है।

भव्य मिलन कर शक्तियां जुटा रहे देवी-देवता

अठारह करडू की सौह यानी अठारह करोड़ देवीदेवता छोटी काशी में आपस में भव्य देव मिलन करके शक्तियां अर्जित करेंगे। सुबह-शाम देवधुनों से माहौल देवमय रहेगा। सात दिन तक मंडी में रहने के बाद देवी-देवता भगवान माधोराय के साथ मिलन करने के बाद अपने देवालयों की ओर निकलेंगे।

1527 से मनाई जाती है शिवरात्रि 

1527 ई. में अजबर सेन ने बाबा भूतनाथ मंदिर के साथ ही आधुनिक मंडी शहर की स्थापना की थी। मंडी नगर की स्थापना के साथ ही देवीदेवताओं का छोटी काशी में आगमन का सिलसिला शुरू हुआ। जिससे आज भी यहां देवता और मानव के रिश्ते मानवीय धरातल पर विद्यमान हैं। यहां पर सदियों बाद ही उसी अंदाज में दरबार सजता और देव राजा के सम्मान में दरबार में हाजिरी भरते हैं।

सूरज सेन ने दिलाई थी महोत्सव को पहचान

मंडी शिवरात्रि को लोकोत्सव का स्वरूप प्रदान करने का श्रेय राजा सूरज सेन को जाता है। सूरज सेन की दस रानियां और 18 पुत्र थे। एक के बाद एक सभी बेटे काल का ग्रास होने पर राजा भयभीत हो उठा। उसे अपना राज्य छीन लिए जाने की आशंका सताने लगी। मगर उसने कूटनीति से काम लेते हुए अपना राज्य भगवान विष्णु के प्रतीक माधोराय को समर्पित कर दिया।

एसडीएम ने किया दुकानों का निरीक्षण

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान मेला ग्राउंड में पहुंचने वाले लोगों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो इस उद्देश्य को लेकर एसडीएम सदर निवेदिता नेगी ने रविवार को टीम के साथ मेला ग्राउंड का निरीक्षण किया। एसडीएम ने खाद्य पदार्थों की दुकानों का निरीक्षण किया और दुकानदारों को स्वच्छता रखने बारे कड़े निर्देश दिए। उन्होंने दुकानदारों से कहा कि खाद्य पदार्थ बनाते व परोसते समय दस्तानों का प्रयोग करें और सिर ढक कर रखें। एसडीएम ने मेला ग्राउंड में पेयजल व शौचालय सुविधा का भी निरीक्षण किया। उन्होंने नगर परिषद अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि मेला परिसर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। इस मौके पर आइएएस प्रोबेशनर अजय यादव, कार्यकारी अध्यक्ष नगर परिषद बीआर नेगी, स्वास्थ्य व खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।

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