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अब नदी नालों में नहीं, डंपिंग साइट पर ठिकाने लगेगा फोरलेन का मलबा

लेकर बजौरा तक के दायरे में फोरलेन का निर्माण करने वाली कंपनी अब मलबे को यहां वहां ठिकाने नहीं लगाएगी। स्थानीय प्रशासन ने इस दायरे में तीन साइटों का चयन कर वन विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है। फोरलेन निर्माण से निकलने वाले पत्थर व मलबे को फोरलेन निर्माण करने वाली कंपनी डयोड, हणोगी व बांधी स्थित इन डं¨पग साइट में ठिकाने लगाएगी। किसी भी परियोजना के निर्माण को मंजूरी मिलने में उससे निकलने वाले मलबे को सही जगह पर सही तरीके से डंप करने की शर्त भी अनिवार्य है लेकिन नागचला से मनाली तक ब

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 03:55 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 03:55 PM (IST)
अब नदी नालों में नहीं, डंपिंग साइट
पर ठिकाने लगेगा फोरलेन का मलबा
अब नदी नालों में नहीं, डंपिंग साइट पर ठिकाने लगेगा फोरलेन का मलबा

संवाद सहयोगी, मंडी : बल्ह घाटी के नेरचौक से बजौरा तक के दायरे में फोरलेन का निर्माण करने वाली कंपनी अब मलबे को यहां-वहां ठिकाने नहीं लगाएगी। स्थानीय प्रशासन ने इस दायरे में तीन साइटों का चयन कर वन विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है। फोरलेन निर्माण से निकलने वाले पत्थर व मलबे को फोरलेन निर्माण करने वाली कंपनी डयोड, हणोगी व बांधी स्थित इन डं¨पग साइट में ठिकाने लगाएगी।

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किसी भी परियोजना के निर्माण को मंजूरी मिलने में उससे निकलने वाले मलबे को सही जगह पर सही तरीके से डंप करने की शर्त भी अनिवार्य है। लेकिन नागचला से मनाली तक बन रहे फोरलेन के मलबे को डंप करने के लिए एनएचएआइ ने अभी तक कोई भी डं¨पग साइट चिह्नित नहीं की थी।

हाल ही में फोरलेन मसले को लेकर हुई उच्चस्तरीय बैठकों में एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को साफ तौर पर आदेश दिया कि पहले डं¨पग के लिए साइट निर्धारित करें। उसके बाद ही निर्माण किया जाए।

इसके बाद एसडीएम समेत विभिन्न विभागीय अधिकारियों की टीम ने नेरचौक से बजौरा तक डं¨पग साइट के लिए संयुक्त निरीक्षण किया। विभागीय टीम ने डयोड, हणोगी व बांधी में तीन साइटों का चयन किया है। निजी क्षेत्र की इन तीन साइट की रिपोर्ट तैयार कर विभागीय टीम ने वन विभाग को सौंप दी है। वन विभाग अब उक्त साइटों का जायजा लेगा।

फोरलेन निर्माण करने वाली कंपनी कट एंड फिल का राग अलाप कर मलबे व पत्थरों को फोरलेन निर्माण में प्रयुक्त करने का हवाला देती रही। लेकिन देखने में आया कि कंपनी मलबे को वन भूमि में ठिकाने लगा रही थी। फोरलेन संघर्ष समिति समेत अन्य संगठनों ने इसके लिए आवाज बुलंद कर पर्यावरण को हो रहे नुकसान के मामले को प्रमुखता से उठाया।

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सरकार की इस मसले पर गंभीरता स्वागत के योग्य है। कुछ दिन से सरकार फोरलेन प्रभावितों की हर समस्या का समाधान गंभीर से तलाशने लगी है जो एक अच्छा संकेत है। लेकिन बिना डं¨पग व बिना पौधरोपण के लिए स्थान चयन किए ही इस परियोजना को मंजूरी कैसे मिल गई? यह सोचनीय है।

-खुशाल ठाकुर, अध्यक्ष, फोरलेन संघर्ष समिति।

----- हाल ही में विभिन्न विभागीय अधकारियों की संयुक्त निरीक्षण कमेटी ने डं¨पग साइट के लिए विभिन्न साइट का दौरा किया है। बजौरा तक के दायरे में कुछ स्थान चिह्नित किए गए हैं। फोरलेन से निकलने वाले मलबे को इन स्थानों पर डंप किया जाएगा।

-एसएस कश्यप, वन मंडल अधिकारी, मंडी।


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