मशीनों का कारीगर खेतीबाड़ी में बना मास्टर
ढेलू पंचायत के रमेश चंद ने टर्नर ट्रेड में आइटीआइ करने के बाद भी खेतीबाड़ी को ही व्यवसाय के रूप में चुना।
जोगेंद्रनगर, राजेश कुमार। मशीनों की मरम्मत में माहिर आज खेतीबाड़ी में मास्टर बना हुआ है। जोगेंद्रनगर की ढेलू पंचायत के रमेश चंद ने टर्नर ट्रेड में आइटीआइ की लेकिन रोजगार की राह को त्याग कर उन्होंने खेतीबाड़ी को व्यवसाय के रूप में चुना। आज वे दूसरे किसानों के लिए प्ररेणास्रोत बने हुए हैं। प्रगतिशील किसान रमेश चंद 40 साल से खेतीबाड़ी कर रहे हैं। खेतीबाड़ी में उनकी खासी दिलचस्पी है और हर साल विभिन्न प्रकार की सौ क्विंटल से अधिक फसलों की पैदावार कर हजारों रुपये की आमदनी जुटा रहे हैं।
62 वर्षीय रमेश चंद करीब आठ बीघा भूमि पर गेहूं सहित अनेक फल व सब्जियां रोप कर आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं। कृषि के प्रति बढ़ते रूझान को देखकर कई किसान भी खेतीबाड़ी को विकसित करने में जुटे हुए हैं। 1976 में दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद टर्नर ट्रेड में आइटीआइ की है। उनके हुनर को देखकर कयास अन्य व्यवसायों पर भी लगाए जा रहे थे, लेकिन भूमि से लगाव इस कदर था कि रोजगार के विकल्पों को त्याग कर उन्होंने कृषि को महत्व दिया। छह भाइयों में सबसे छोटे रमेश कुमार प्रगतिशील किसान के रूप में पहचाने जाते हैं। आठ बीघा भूमि पर रमेश चंद सालाना करीब 40 क्विंटल से अधिक गेहूं और धान की फसल की पैदावार करते हैं।
परिवार की जरूरत के बाद शेष फसल को बाजार में बेचकर आमदनी कमा रहे हैं। इसके अलावा सोयाबीन, आलू, प्याज, अदरक, फुलगाभी, मूली, मटर, शलगम, बंद गोभी, कटहल, संतरा, आम की बंपर पैदावार करते हैं और अब नकदी फसलों को भी को रोपना शुरू कर दिया है। धान की फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए एंकर स्प्रे और फोर डी स्प्रे का इस्तेमाल करते हैं। फसल को पीले रतवे से बचाने के लिए बुटा भलौर दवा तथा इसके अलावा इफ्को कैन यूरिया का इस्तेमाल भी करते हैं। वहीं आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर अपनी फसल को बढ़ाने का महारथ भी रमेश चंद के पास है।
रातभर जाग कर करते हैं फसल का बचाव बेसहारा पशुओं से फसल को सुरक्षित बचाने के लिए रमेश चंद रातभर जागकर भी खेतों में पहरा देते हैं। फसल को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रकार की फेंसिंग कर रखी है। रमेश चंद के तीन भाई जहां सरकारी पदों से सेवानिवृत्त होकर परिवार की अजीविका चला रहे है वहीं रमेश चंद खेतीबाड़ी कर ही परिवार का शाही जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने कृषि कर ही अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाई और आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग में प्रशिक्षण भी दिलाया।