12 साल से अंधेरे में जी रहा गदेश गांव
पमंडल की लोट पंचायत का गदेश गांव बिजली से महरूम है। गांव के आधा दर्जन घरों में बिजली नही पहुंचाई जा सकी है। पंचायत के इस गांव में आधा दर्जन परिवारों में रहने वाले लोग शाम ढलने से पहले ही भोजन कर अपने घरों के दरवाजे बंद कर देते हैं। यह परिवार पहले काहवली, कटेर और भडयार गांव में रहते थे, जहां उनके घरों में बिजली थी। अब परिवार बढ़े है। पारिवारिक विस्तार के चलते अब गांव के समीप गदेश गांव में अपनी दोघरियों में घर बनाकर पिछले कई वर्षो से रह रहे है। करीब दस से बारह वर्षो के बाद भी इस दुर्गम गांव के लोगों की मांग पर उनके घरों में बिजली नहीं पहुंच पाई है। बिजली न
मृगेंद्र पाल, गोहर
गोहर उपमंडल की लोट पंचायत का गदेश गांव आज भी अंधेरे में जी रहा है। गांव में कई घरों में बिजली से रोशन नहीं हुए हैं। आलम यह है कि गांव के लोग शाम ढलने से पहले ही भोजन कर घरों के दरवाजे बंद कर देते हैं। ये परिवार पहले काहवली, कटेर और भडयार गांव में रहते थे, जहां उनके घरों में बिजली थी। अब परिवार बढ़े है। पारिवारिक विस्तार के चलते अब गांव के समीप गदेश गांव में 10-12 वर्षो से यहां रह रहे हैं। इतने वर्षो के बाद भी इस दुर्गम गांव में इन घरों में बिजली नहीं पहुंची। बिजली न होने से ग्रामीण जंगली जानवर, विषैले जीव व किसी अनहोनी के डर से रात बिताने को विवश हैं। शिकारी देवी की पहाड़ी के समीप बसे इस गांव में शाम चार बजे के बाद अंधेरा छाने लगता है और ग्रामीण दिन ढलने से पहले भोजन कर लेते हैं। ग्रामीण पूर्ण चंद, कौल राम, शोभा राम, अमर ¨सह, किशन चंद ने बताया कि वे कई वर्षो से गदेश गांव में रह रहे है। विद्युत विभाग के समक्ष समस्या रखी लेकिन कुछ नहीं हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि उनका दुख दर्द समझने वाला कोई नही है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, जिला व स्थानीय प्रशासन, विद्युत विभाग और जनप्रतिनिधियों से समस्या के समाधान की गुहार लगाई है।
बिजली से से वंचित गदेश गांव को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत जोड़ा जा रहा है। इसके लिए योजना बनाई गई है। इसके क्रियान्वयन के लिए विभाग प्रयासरत है।
राजेश कौंडल, सहायक अभियंता विद्युत विभाग गोहर।