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अब सार्वजनिक शौचालयों में नहीं रहेगी गंदगी, बनेंगे ई-टॉयलेट, रहेंगे साफ और बैक्टीरिया फ्री

अब सार्वजनिक व अस्पतालों के शौचालयों में गंदगी फैली नहीं मिलेगी इसके लिए जल्द ही ई-टॉयलेट बनाये जाएंगे जो पूरी तरह साफ और बैक्टीरिया मुक्त रहेंगे।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 10:39 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 10:39 AM (IST)
अब सार्वजनिक शौचालयों में नहीं रहेगी गंदगी, बनेंगे ई-टॉयलेट, रहेंगे साफ और बैक्टीरिया फ्री
अब सार्वजनिक शौचालयों में नहीं रहेगी गंदगी, बनेंगे ई-टॉयलेट, रहेंगे साफ और बैक्टीरिया फ्री

मंडी, हंसराज सैनी। निकट भविष्य में सार्वजनिक व अस्पतालों के शौचालयों में गंदगी पसरी नहीं मिली।शौचालय पूरी तरह से साफ व बैक्टीरिया मुक्त मिलेंगे। इससे न तो वातावरण प्रदूषित होगा और न ही किसी प्रकार का संक्रमण फैलने का डर सताएगा। शौचालयों को साफ-सुथरा रखने के लिए किसी तरह की मैन पावर की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

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देश के अस्पतालों व सार्वजनिक शौचालयों में अब ई-टॉयलेट बनेंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान  (आइआइटी) मंडी के प्रशिक्षुओं ने ई-टॉयलेट सीट इजाद की है, जो स्वचालित तरीके से साफ व बैक्टीरिया मुक्त होगी। टॉयलेट शीट गंदी होने पर संबंधित विभाग के अधिकारी को तुरंत मैसेज प्रेषित होगा। सार्वजनिक शौचालयों व अस्पतालों में आमतौर पर एंग्लो इंडियन या फिर वेस्टर्न टॉयलेट सीट का इस्तेमाल होता है। सफाई कर्मियों की कमी या फिर पानी की उचित व्यवस्था न होने से शौचालयों में अकसर गंदगी पसरी रहती है। सीट साफ करने के लिए फ्लश तकनीक का इस्तेमाल होता है।

सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करने के बाद अधिकांश लोग फ्लश का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इससे गंदगी को बढ़ावा मिलता है। सीट को बैक्टीरिया मुक्त करने के लिए फिनाइल का प्रयोग होता है। मगर हर शौचालय में इसकी भी व्यवस्था नहीं होती है। इन सब समस्याओं से खासकर आधी आबादी को निजात दिलाने के लिए आइआइटी के प्रशिक्षुओं ने ई-टॉयलेट सीट इजाद की है। वेस्टर्न टाइप की इस सीट में मॉप व अल्ट्रावायलेट तकनीक लगी होगी। टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद सीट स्वचालित तरीके से साफ होगी। पहले फ्लश चलेगी।

उसके बाद सीट में लगा मॉप उसे अंदर से साफ करेगा। मॉप का काम पूरा होने के बाद अल्ट्रावायलेट किरणें सीट को पूरी तरह से बैक्टीरिया मुक्त करेंगी। इस सारे कार्य में मात्र दस सेकंड का समय लगेगा। जितनी बार भी ई-टॉयलेट का इस्तेमाल होगा उतनी बार वह स्वचालित तरीके से साफ व बैक्टीरिया मुक्त होगी। इस सीट की कीमत 10,000 से 15,000 के बीच होगी। सीट में सेंसर लगे होंगे। कई कारणों से अगर सीट इस्तेमाल के बाद साफ नहीं होगी तो सेंसर तुरंत संबंधित अधिकारी या विभाग के मुखिया के मोबाइल

फोन पर मैसेज प्रेषित करेंगे। आइआइटी मंडी शनिवार को आयोजित होने वाले डिजाइन प्रैक्टिकम ओपन हाउस में ई-टॉयलेट का डिजाइन सार्वजनिक करेगी।

सार्वजनिक व अस्पतालों के शौचालयों को वर्तमान समय में साफ-सुथरा रखना चुनौती है। इसके लिए बड़ी संख्या में मैन पावर का इस्तेमाल होता है। पैसे की फिजूलखर्ची होती है। फिर भी शौचालय साफ नहीं मिलते हैं। गंदगी के कारण वातावरण प्रदूषित होता है। संक्रमण का खतरा भी मंडराता रहता है। ई-टॉयलेट में स्वचालित तकनीक से सीट साफ व बैक्टीरिया मुक्त होगी। पैसे की बचत भी होगी।

-डॉ. सुमित सिन्हा रे, सहायक प्रोफेसर आइआइटी मंडी।

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