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दहेज प्रथा बेटियों की मौत का मुख्य कारण : आचार्य देवव्रत

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि पढ़े लिखे लोग ही बेटियों को जन्म लेने से पहले ही मां के गर्भ में मार रहे हैं। बेटियों की मौत का सबसे बड़ी जिम्मेदार हमारे समाज में दहेज प्रथा है।

By Neeraj Kumar Azad Edited By: Published: Mon, 14 Mar 2016 02:33 PM (IST)Updated: Mon, 14 Mar 2016 02:36 PM (IST)
दहेज प्रथा बेटियों की मौत का मुख्य कारण : आचार्य देवव्रत

जागरण संवाददाता, मंडी : राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि पढ़े लिखे लोग ही बेटियों को जन्म लेने से पहले ही मां के गर्भ में मार रहे हैं। बेटियों की मौत का सबसे बड़ी जिम्मेदार हमारे समाज में दहेज प्रथा है। आज अंतरराष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव के समापन से पूर्व गांधी भवन में 'मेरी लाडलीÓ कार्यक्रम के तहत आयोजित नाटक देखने के बाद राज्यपाल ने कहा कि अब हमें उस परंपरा को बदलना होगा, जिसमें बेटे वाले को बड़ा और बेटी वाले को छोटा समझा जाता है। उन्होंने कहा कि देने वाला कभी छोटा नहीं हो सकता है। जो बाप अपनी बेटी किसी के बेटे को देता है, वह छोटा नहीं हो सकता है। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र लाहुल स्पीति में कन्या भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध नहीं होता है। मगर जहां पढ़े लिखे लोग सबसे अधिक हैं और साक्षरता दर ज्यादा हैं वहां पर बेटियों को जन्म से पूर्व ही मारा जा रहा है। राज्यपाल ने कहा भारतीय नारी में करुणा, दया और ममत्व के गुण हैं। बेटियां हमारी बहुत बड़ी ताकत है, वे राष्ट्र की पूंजी है।

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नाटक देख भावुक हो उठे राज्यपाल
हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान, रंगमंडल एवं नाट््य अकादमी की ओर से कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित नाटक को देखकर राज्यपाल भी भावुक हो उठे। उपायुक्त संदीप कदम द्वारा लिखित यह नाटक उनकी जिला में मेरी लाडली अभियान को शुरू करने का आधार रहा है। इसमें एक गांव में कन्या पूजन के लिए 11 लड़कियां भी नहीं मिल पाती हैं। नाटक प्रमुख पात्र को सपने में कन्या दिखाई देती है। लक्ष्मी नाम की यह वही कन्या होती है जो 12-13 साल पूर्व उसकी पत्नी के गर्भ में पलती है। मगर बेटे की चाह में उसकी मां के पेट में ही भूणहत्या कर दी जाती है। नाटक में मां-बेटी का वार्तालाप दर्शकों की आंखों को नम कर देता है। जिसमें बेटी कहती है कि जब घर वालों को पता चलता है कि मां पेट से है तो उसे अच्छे-अच्छे पकवान खने को मिलते हैं। जिनका स्वाद उसके पेट में वह भी लेती है। उसकी सांसों को वह महसूस करती है। सपने में उससे वह खेलती है। मगर एक दिन डॉक्टर अंकल उसके हाथ-पैर और बोटी-बोटी काटकर उसकी हत्या कर देते हैं। अपने संबोधन में राज्यपाल ने कह कि इस नाटक का मंचन स्कूलों , कालेजों और अन्य संस्थानों में भी किया जाना चाहिए। जिससे बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के संदेश का और विस्तार मिल सके। नाटक में मां की भूमिका सीमा शर्मा, पिता के रूप में अर्जेय और बेटी के किरदार को मोनिका सरकार ने निभाया।


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