डॉक्टर ने की लापरवाही, 13.26 लाख जुर्माना
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली ने निजी चिकित्सक की मेडिकल नेगलिजेंस (लापरवाही) पर उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 13,26,286 रुपये ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा चिकित्सक व बीमा कंपनी को 3,30,572 रुपये संयुक्त व अलग-अलग रूप से भी अदा करने होंगे।
जागरण संवाददाता, मंडी। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली ने निजी चिकित्सक की मेडिकल नेगलिजेंस (लापरवाही) पर उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 13,26,286 रुपये ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा चिकित्सक व बीमा कंपनी को 3,30,572 रुपये संयुक्त व अलग-अलग रूप से भी अदा करने होंगे। साथ ही उन्हें उपभोक्ता के पक्ष में 20 हजार रुपये शिकायत व्यय भी देना होगा।
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली के अध्यक्ष वीके जैन व सदस्य डॉ. बीसी गुप्ता ने कुल्लू जिला के रामशीला (अखाड़ा) निवासी यादविंद्र के पक्ष में दिए राज्य उपभोक्ता आयोग शिमला के फैसले को बरकरार रखते हुए कुल्लू के कलैहली (बजौरा) स्थित एसआर अस्पताल के मालिक डॉ. आरएम गौतम की अपील को निरस्त कर दिया।
आयोग ने कहा कि चिकित्सक पर लापरवाही बरतने व केस को सही ढंग से न संभालने का आरोप साबित हुआ है। कुल्लू की अधिवक्ता ज्योति डोगरा ने 2006 में अधिवक्ता अरविंद शर्मा के माध्यम से राज्य उपभोक्ता आयोग में शिकायत दायर की थी।
शिकायत के मुताबिक उन्होंने पेट में दर्द होने के कारण कुल्लू अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ सुमेध कौल के पास परीक्षण करवाया तो उन्होंने अपनी राय दी कि यह कैंसर से संबंधित लक्षण हो सकते हैं। इसके बाद उन्होंने अंजना नारू के क्लीनिक में चेक करवाया तो उन्होंने भी यह संदेह जताया।
ऐसे में शिकायतकर्ता ने एसआर अस्पताल बजौरा के डॉ. आरएम गौतम के अस्पताल में राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि छोटी सी सर्जरी करनी होगी। डॉ. गौतम ने उसी दिन 25 मार्च 2004 को ज्योति डोगरा की सर्जरी बिना किसी टेस्ट करवाए बगैर ही कर दी।
सर्जरी के दौरान उक्त चिकित्सक ने उनकी यूटेरस, ओवरिस, फॉलोपाइन ट्यूबस और यूरेटियरस को काटकर निकाल दिया। ऑपरेशन के बाद पेशाब के लिए कोई जगह नहीं होने के कारण पेट में दो जगह पर छेद कर दिए। इस सर्जरी से उनकी हालत खराब होती चली गई और उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ ले जाना पड़ा। जहां पर यूरोलोजी विभाग अध्यक्ष डॉ. एके मंडल ने उनका इलाज किया।
अपनी राय देते हुए उन्होंने कहा कि कैंसर के चरण को देखे बगैर रोगी की सर्जरी नहीं की जानी चाहिए थी। ज्योति डोगरा को अपने उपचार के लिए अनेक बार पीजीआई में दाखिल होना पड़ा। इस पर उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग में डॉ. गौतम के खिलाफ मेडिकल लापरवाही की शिकायत दायर की थी।
शिकायत की सुनवाई के दौरान सात फरवरी 2008 को ज्योति डोगरा का देहांत हो जाने पर उनके पुत्र नवक्षितिज की ओर से उनके पिता यादविंद्र ने इस शिकायत की पैरवी जारी रखी। राज्य आयोग ने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता की ओर से पीजीआइ के डॉ. मंडल और डॉ. फिरोजा पटेल के बयान दर्ज किए गए हैं।
मामले के रिकार्ड से डॉ. गौतम पर चिकित्सीय लापरवाही और रोगी के केस को ठीक ढंग से न संभालने के आरोप साबित हुए हैं। इस पर राज्य आयोग ने चिकित्सक व नेशनल इंश्योरेंस बीमा कंपनी को उक्त राशि ब्याज सहित अदा करने और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया था।