Move to Jagran APP

हार से कभी नहीं हारे जयराम : अश्वनी

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ¨जदगी में हार से कभी नहीं घबराए और उन्होंने असफलता का डटकर सामना किया। इस कारण आज वह इस मुकाम तक पहुंचे हैं। यह बात कॉलेज में उनके सहपाठी व दोस्त रहे अश्वनी कुमार ने वल्लभ कॉलेज के जयंती समारोह में सांझा की। उन्होंने कहा कि आज से 32 साल पहले जयराम ठाकुर ने मंडी के संध्याकालीन कॉलेज में दाखिला लिया और वह उनके दोस्त बन गए। एक साल संध्याकालीन कॉलेज में पढ़ने के बाद जयराम ठाकुर ने द्वितीय वर्ष में डे कॉलेज में प्रवेश ले लिया और वह भी डे कॉलेज चले गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 07:43 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 07:43 PM (IST)
हार से कभी नहीं हारे जयराम : अश्वनी
हार से कभी नहीं हारे जयराम : अश्वनी

संवाद सहयोगी, मंडी : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ¨जदगी में हार से कभी नहीं घबराए और उन्होंने इसका डटकर सामना किया। इस कारण आज वह इस मुकाम तक पहुंचे हैं। यह बात उनके सहपाठी व दोस्त रहे अश्वनी कुमार ने वल्लभ कॉलेज के जयंती समारोह में साझा की। उन्होंने कहा आज से 32 साल पहले जयराम ठाकुर ने मंडी के संध्याकालीन कॉलेज में दाखिला लिया और वह उनके दोस्त बन गए। एक साल संध्याकालीन कॉलेज में पढ़ने के बाद जयराम ठाकुर ने द्वितीय वर्ष में डे कॉलेज में प्रवेश ले लिया और वह भी डे कॉलेज में चले गए। कॉलेज में छात्र संघ चुनावों का दौर शुरू हुआ तो उन्होंने जयराम ठाकुर को कक्षा प्रतिनिधि (सीआर) का चुनाव लड़ने को कहा। उनके और सहपाठी भी यही चाहते थे और उनका नाम सीआर के लिए अनुमोदित कर दिया। उनके एक सहपाठी गिरीश शर्मा इस बात से सहमत नहीं हुए और वह भी उनके खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हो गए। गिरीश पैलेस कॉलोनी के निवासी थे और जयराम ठाकुर भी यहां अपने रिश्तेदार के पास रहते थे। गिरीश को जयराम को सीआर बनाने के लिए राजी कर लिया गया, लेकिन वह डरे हुए थे और कहते थे कि दूसरे संगठन के लोग कहीं पिटाई न कर दें। कक्षा में 200 विद्यार्थी थे और विभिन्न छात्र संगठनों से चार प्रतिनिधि सीआर के लिए खड़े हो गए। इनमें जयराम ठाकुर व उनके प्रतिद्वंदी जय कुमार आजाद को बराबर वोट मिले और मुकाबला बराबरी पर छूटा। इसके बाद जयकुमार आजाद को आयु में वरिष्ठता के आधार पर विजयी घोषित कर दिया, लेकिन जयराम ठाकुर इसे हार नहीं मान रहे थे।

loksabha election banner

एक तरफ जहां जयकुमार आजाद ने जीत की खुशी का जश्न मनाया और अपने सहपाठियों को पार्टी दी तो दूसरी तरफ जयराम ठाकुर भी कहां पीछे रहने वाले थे उन्होंने भी अगले दिन पार्टी रख दी। यह देख हर कोई हैरान रह गया कि जयराम ठाकुर हार की खुशी में भी पार्टी दे रहे हैं। इसके बाद सब्जेक्ट सोसायटी के चुनाव हुए उसमें भी जयराम ठाकुर को हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रही। कॉलेज के अंतिम वर्ष में उन्हें एबीवीपी की ओर से सह सचिव पद के लिए खड़ा किया गया। दुर्भाग्य से यह चुनाव भी हार गए, लेकिन उन्हें जो भी वोट मिले उनमें से 80 फीसद वोट लड़कियों के ही पड़े थे। अश्वनी कुमार ने कहा जयराम ठाकुर कॉलेज में हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेते थे भले ही उसमें हार मिले या जीत। उन्होंने चच्योट विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा और यह चुनाव भी हार गए, लेकिन इसके बाद उन्होंने कभी हार का मुंह नहीं देखा और लगातार पांच बार चुनाव जीतने के बाद आज मुख्यमंत्री पद पर हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.