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थाटा गांव में मशालें जलाकर मनाई बूढ़ी दीवाली

संवाद सहयोगी मंडी सराज घाटी के थाटा गांव में आराध्य देव शैटीनाग को समर्पित बूढ़ी दीवाल

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 08:03 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 08:03 PM (IST)
थाटा गांव में मशालें जलाकर मनाई बूढ़ी दीवाली
थाटा गांव में मशालें जलाकर मनाई बूढ़ी दीवाली

संवाद सहयोगी, मंडी : सराज घाटी के थाटा गांव में आराध्य देव शैटीनाग को समर्पित बूढ़ी दीवाली मनाई गई। मशालें व अश्लील जुमलों से भूत-पिशाच भगाए गए। यह बूढ़ी दीवाली तीन साल में एक बार मनाई जाती है। इसमें अश्लील जुमले कसते हुए ढोल नगाड़ों की थाप पर हारियानों ने नृत्य किया और पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। बूढ़ी दीवाली में दो गांवों के लोगों के बीच लड़ाई होती है। दोनों गांवों के लोग मशालों से एक-दूसरे पर वार करते हैं। इस दौरान नियम का पालन करना जरूरी होता है। अन्यथा व्यक्ति को दंडित किया जाता है। इस लड़ाई किसी भी व्यक्ति को चोट नहीं आती है और न किसी व्यक्ति के कपड़े जलते हैं। इसमें जो लोग दीवाली का आनंद उठा रहते होते हैं उन पर भी मशालों से प्रहार किए जाते हैं। इस दौरान देवता की शक्तियां साथ होती है।

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इसके बाद हारियान अश्लील जुमले बालते हुए थाटा गांव पहुंचते हैं। यहां पर आग का एक बड़ा कूंड जलाया जाता है, जोकि करीब 30 फीट बड़ा होता है। इसमें सभी मशालों को फेंका जाता है। इसके बाद देव परंपरा का निर्वहन किया गया। इस दौरान देवता के गूर द्वारा भविष्यवाणी की गई। इसमें देवता ने लोगों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखने की बात कही है। वहीं देवलुओं से मिलजुल कर रहने का आह्वान किया गया है।

सोमवार रात को बूढ़ी दीवाली में रातभर नाटी का दौर चला रहा। उधर, शैटीनाग देवता के कारदार हिम्मत सिंह ने बताया कि कोरोना के चलते इसे स्थगित किया जा रहा था, लेकिन देवता के आदेश पर इसे आयोजित करवाया गया।


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