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उम्मीद के पहाड़ पर हांफी रेलगाड़ी

बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन के लिए अब तक 10 किलोमीटर भूमि का ही हो पाया अधिग्रहण।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 09:54 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 09:54 AM (IST)
उम्मीद के पहाड़ पर हांफी रेलगाड़ी
उम्मीद के पहाड़ पर हांफी रेलगाड़ी

मंडीं, हंसराज सैनी। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन उम्मीदों का पहाड़ नहीं चढ़ पा रही है। यह अभी सर्वेक्षण व भूमि अधिग्रहण के फेर में फंसी है। केंद्र में चाहे कांग्रेस की यूपीए सरकार हो या भाजपा की एनडीए, सब्जबाग दिखाने में कोई पीछे नहीं रहा है। हर साल केंद्रीय बजट से पहले रेललाइन निर्माण के लिए पैसा मिलने की उम्मीद जगती है, लेकिन बजट में बात सर्वेक्षण से आगे नहीं बढ़ पाती है।

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भानुपल्ली से बरमाणा तक दो चरणों में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है। पंजाब की सीमा से धरोट तक 10 किलोमीटर लाइन बनेगी। इसके लिए नैना देवी तहसील के 10 गांवों की करीब 315 बीघा निजी भूमि का अधिग्रहण हो चुका है।

अधिग्रहण की एवज में किसानों को 106 करोड़ रुपये मुआवजा राशि दी गई है। 645 बीघा सरकारी भूमि का हस्तांतरण होना अभी बाकी है। द्वितीय चरण में धरोट से बरमाणा तक 58 गांवों में भूमि अधिग्रहण होगा। छह गांवों में किसानों के साथ वार्ता कर जमीन के दाम तय कर लिए गए हैं। अन्य गांवों में अभी राजस्व सर्वेक्षण का काम चल रहा है। बरमाणा से लेह तक तकनीकी सर्वेक्षण पूरा होने में अब भी कम से कम दो साल का समय और लगेगा। उसके बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। ऐसे में लोगों को रेललाइन के लिए कई साल और इंतजार करना होगा।

इस रेललाइन के निर्माण कार्य पर करीब 83,360 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसकी लंबाई 465 किलोमीटर होगी। समुद्रतल से ऊंचाई 5,360 मीटर होगी और दुनिया की यह सबसे ऊंची रेललाइन होगी। लद्दाख तक बनने वाली इस लाइन पर भारत-चीन सीमा के पास 30 स्टेशन होंगे। यह लाइन पंजाब के भानुपल्ली से शुरू होगी। बिलासपुर सुंदरनगर, मंडी, मनाली, केलंग, कोकसर, दर्चा, उपशी और कारू से गुजरेगी। इस लाइन से सुरक्षाबलों को काफी मदद मिलेगी। 

मनाली व लद्दाख क्षेत्र में पर्यटन बढ़ावा मिलेगा। 465 किलोमीटर लंबी इस लाइन का 52 फीसद हिस्सा सुरंग से होकर गुजरेगा। सबसे लंबी सुरंग 27 किलोमीटर होगी। सुरंगों के अंदर से कुल 244 किलोमीटर लाइन गुजरेगी। प्रथम चरण के सर्वे के अनुसार 74 सुरंगें, 124 बड़े पुल और 396 पुलिया बनेंगी। करीब दस किलोमीटर लाइन का निर्माण पंजाब में होगा।

इस लाइन पर 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ेगी। दिल्ली से लेह के बीच सफर का समय 40 से घटकर 20 घंटे रह जाएगा। हिमाचल प्रदेश में 2700 हेक्टेयर व जम्मू-कश्मीर में 1249 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होगा। 

केंद्र सरकार बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन के निर्माण को लेकर गंभीर है। हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर के साथ मिलकर उन्होंने वित्त मंत्री से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस रेल लाइन के निर्माण के लिए बजट का प्रावधान करने की मांग की है। सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन जिस तरह से अपना बुनियादी ढांचा सुदृढ़ कर रहा है। केंद्र सरकार ने उसे ध्यान में रखते हुए ही फाइनल लोकेशन सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी।

-रामस्वरूप शर्मा, सांसद।


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