सेब के नहीं मिल रहे अच्छे दाम, बागवान निराश
सहयोगी, गोहर : सेब सीजन चरम पर है। लेकिन बागवानों को प्रदेश व अन्य राज्यों की मंडियों में से
सहयोगी, गोहर : सेब सीजन चरम पर है। लेकिन बागवानों को प्रदेश व अन्य राज्यों की मंडियों में सेब के दाम कम मिल रहे हैं। दाम कम मिलने से सराज के बागवान निराश हैं। सेब की फसल घाटी में पहले ही कम हुई थी, शुरुआती दौर में अरली किस्म के सेब से बागवानों को अच्छी आय हुई थी लेकिन जैसे जैसे सेब सीजन आगे बढ़ा तो वैसे ही मंडियों में भाव लुढ़क गए। बागवानों का कहना है कि परवाणू, चंडीगढ़, देहरादून, जालंधर, दिल्ली आदि की मंडियों में सेब बोलियों पर बिक रहा है। इन मंडियों में प्रदेश के मनाली, कुल्लू, किन्नौर, शिमला का सेब अच्छे दामों पर बिक रहा है। दूसरा यह कि बोली लगाने के कोलकता, कर्नाटक, तमिल राज्यों के व्यापारी बाढ़ व बरसात के कारण नहीं आ पाए हैं इसलिए सराज के बागवानों का सेब दूसरी जगह के सेब की अपेक्षा दाम में पीछे रह गया। बागवान चमन ठाकुर, चतर ¨सह, दीवान ठाकुर, महेंद्र पाल, संजू शाह, मनोज कुमार, ते¨जद्र ठाकुर, पो¨मद्र ने बताया कि सेब की प्रति एक हजार से पंद्रह सौ रुपये में बिक रही है जबकि इससे पहले अरली वरायटी का सेब दो से तीन हजार रुपये प्रति पेटी की दर से बिका है। बागवानों का कहना है कि बागवान अपने आप अपना सब मंडियों में ले जा रहे हैं। अच्छे दाम न मिलने से बागवानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
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मंडियों में छाया सन्नाटा
गोहर की चैलचौक, सराज की बगस्याड़, लंबाथाच की मंडियों में सेब का व्यापार न के बराबर ही है। यहां न तो आढ़ती पहुंचे हैं, न ही उम्मीद के बराबर सेब पहुंचा है। सब्जी मंडी के प्रभारी राजेश जोशी ने बताया कि बागवान सेब सीधा बाहर की मंडियों में ले जा रहे हैं। बाहर की मंडियों में सेब के वाजिब दाम नहीं मिल रहा इसलिए यहां की मंडियों में आढ़ती व व्यापारी वर्ग कोई भी रिस्क उठाने की हिम्मत नहीं कर रहा।