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फसल की निगरानी के लिए कमेटी का गठन

जिले में गेहूं की फसलों पर पीला रतुआ रोग के एकाएक हमले के बाद जिला कृषि विभाग सचेंत हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 06:21 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 06:21 PM (IST)
फसल की निगरानी के लिए कमेटी का गठन
फसल की निगरानी के लिए कमेटी का गठन

संवाद सहयोगी, मंडी : गेहूं की फसल में पीला रतुआ फैलने के बाद कृषि विभाग सतर्क हो गया है। विभाग ने निगरानी के लिए जिलास्तरीय कमेटी का गठन भी कर लिया है। विशेषज्ञों ने 60 मिली लीटर प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी कवकनाशी दवा को 60 लीटर पानी घोलकर एक बीघा जमीन में छिड़काव करने की सलाह दी है। सराज, नाचन, करसोग व बरोट में पीला रतुआ ने गेहूं को बर्बाद करना शुरू कर दिया है। मेहनत को बर्बाद होता देख किसान परेशान हैं।

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खेत में पीला रतुआ रोग का प्रकोप अधिक होने पर यह पीलापन दूर से दिखाई देता है। पीला रतुआ एक फफूंदजनित रोग है, जो पत्तियों को पीला कर देता है। इसमें गेहूं की पत्तियों पर पीले रंग का पाउडर बनने लगता है, जिसे छूने से हाथ भी पीले हो जाते हैं। फसल में खाद की कमी और अधिक समय तक पानी खड़ा रहने से रोग फैलता है।

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जिले में गेहूं की फसल पर रतुआ रोग के प्रभाव के बाद कृषि विभाग ने निगरानी के लिए जिलास्तरीय कमेटी का गठन किया है। किसानों को रोग के बचाव के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है।

-जीत सिंह, उपनिदेशक कृषि विभाग मंडी।


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