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मुआवजे के लिए तरसे अन्नदाता

बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह ब्लाक सिराज समेत द्रंग विधानसभा क्षेत्र की क¨टडी व त्रयाबंली पंचायत के महज ग्यारह सौ किसानों को छोड़ कर आठ ब्लाक के करीब तैंतीस हजार किसानों को फसल बीमा योजना के नाम पर फूटी कौड़ी तक नहीं मिल पाई है। किसान प्रदेश सरकार की ओर टकटकी लगा

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 04:00 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 04:00 PM (IST)
मुआवजे के लिए तरसे अन्नदाता
मुआवजे के लिए तरसे अन्नदाता

सुरेंद्र शर्मा, मंडी

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मंडी जिला के हजारों किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह ब्लॉक सराज समेत द्रंग विधानसभा क्षेत्र की क¨टडी व त्रयाबंली पंचायत के महज 1100 किसानों को छोड़कर आठ ब्लॉक के करीब 33 हजार किसानों को फसल बीमा योजना के नाम पर कुछ नहीं मिला है। किसान प्रदेश सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। योजना का लाभ न मिलने से हजारों किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

जिला में करीब 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं का उत्पादन किया जाता है। 2016-17 में 34 हजार से अधिक किसानों ने रबी के सीजन के दौरान गेहूं की फसल का बीमा करवाया था। ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से सभी दस ब्लॉक के किसान योजना से जुड़े थे। उस दौरान सूखे के कारण जिला में गेहूं की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा था। कृषि विभाग ने फील्ड से फसल के नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट तैयार कर निदेशालय को भेज दी थी। सराज ब्लॉक के 1021 किसानों समेत द्रंग ब्लॉक की त्रयाबंली व क¨टडी पंचायत के 88 किसानों को योजना के तहत मुआवजा प्रदान किया गया। लेकिन शेष आठ ब्लॉक के किसानों को कुछ नहीं दिया गया। हिमाचल किसान यूनियन ने भी प्रधानमंत्री से फरियाद तक लगाई। प्रदेश सरकार को दिलचस्पी लेने के निर्देश जारी किए गए। लेकिन किसानों को राहत नहीं मिल पाई है। पांच अगस्त को आयोजित जनमंच में हिमाचल किसान यूनियन ने इस मामले को कृषि मंत्री के समक्ष उठाया था।

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फसल बीमा योजना के नाम पर किसानों से धोखा किया गया है। 2016-17 में गेहूं की फसल को पहुंचे नुकसान का मुआवजा किसानों को अभी तक नहीं मिला है।

-सीता राम, महासचिव, हिमाचल किसान यूनियन।

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कृषि विभाग ने लोगों को फसल बीमा करवाने के लिए जागरूक किया। इसके लिए कैंपों का भी आयोजन किया गया। फसल के नुकसान की रिपोर्ट निदेशालय को भेजी जाती है। इससे अधिक विभाग की भूमिका नहीं रहती है।

-रूपलाल चौहान, कृषि उपनिदेशक मंडी।

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कृषि विभाग के शिमला स्थित निदेशालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार ही किसानों को फसल बीमा योजना के तहत लाभ प्रदान किया जाता है। कुछ साल की पैदावार की औसत निकालने पर अगर कम उत्पादन हुआ होता है उसी स्थिति के तहत राशि प्रदान की जाती है। सराज, क¨टडी व त्रयाबंली पंचायत में किसानों की पैदावार पिछले साल की तुलना में कम आंकी गई थी। इस कारण राशि प्रदान कर दी गई है।

-हरीराम, प्रबंधक, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, जिला मंडी।


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