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बेजुबानों का बनी सहारा, महिला शक्ति आवारा कुत्तों का ऐसे रख रही हैं ख्‍याल

लॉकडाउन में आवारा पशुओं को खाना नहीं मिल पा रहा है ऐसे में मंडी की बीना देवी और जैसमीन कौर रोजाना लावारिस कुत्ताेें को खाना खिला रही हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 31 Mar 2020 07:38 AM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 07:38 AM (IST)
बेजुबानों का बनी सहारा, महिला शक्ति आवारा कुत्तों का ऐसे रख रही हैं ख्‍याल
बेजुबानों का बनी सहारा, महिला शक्ति आवारा कुत्तों का ऐसे रख रही हैं ख्‍याल

 मंडी, मुकेश मेहरा। लॉकडाउन के चलते जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए तो प्रशासन डटा है, लेकिन जिन आवारा कुत्तों को मदद नहीं मिल रही उनके लिए मंडी शहर की महिला शक्ति आगे आई है। यह मातृशक्ति शहर भर में घूमकर बेसहारा कुत्तों को दूध, रोटी उपलब्ध करवा रही है। मंडी शहर में ब्यूटी पॉर्लर चलाने वाली बीना देवी और टेक्सटाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही जैसमीन कौर इस कार्य में जुटी हैं।

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 ये दोनों महिलाएं रोजाना हाथ में दो लीटर दूध की बोतल, बैग में रोटियां, डिब्बे, बिस्किट और अंडे लेकर शहर में घूमती हैं और जहां भी लावारिस कुत्ता नजर आता है उसको दूध में रोटी खिलाती हैं। इसके लिए अलग से डिब्बा भी साथ रखा होता है। इसी में दूध डालकर कुत्तों को देती हैं। दोनों महिलाओं ने लगभग 25-25 रोटियां साथ रखी होती हैं। अगर कहीं गोवंश मिल जाए तो उसे भी रोटी खिलाती हैं।

कर्फ्यू के दौरान करती हैं खरीदारी

 बीना और जैसमीन कहती हैं कि जब वो कर्फ्यू के दौरान बाजार में खरीदारी करने आती हैं तो उनको कई बार ऐसे कुत्ते मिलते जो भूखे होते। उन्होंने तभी सोचा कि दो-तीन घंटे जो प्रशासन देगा उसमें वह इनकी मदद करेंगी। शुरू में तो वह केवल दूध और चार-पांच रोटियां लाती थीं, लेकिन रोज चार से पांच और कुत्ते मिलते। अब शहर में घूमती हैं तो 15 से 20 कुत्तों को रोटी  खिलाती हैं। साथ ही आस-पड़ोस व घर की बेकार हुई सब्जियां आदि लेकर बेसहारा गोवंश को डालती हैं। हालांकि वह चारे का प्रबंध नहीं कर पातीं, लेकिन जितना उनसे बन पा रहा है, वह कर रही हैं।

परिवार का मिल रहा है सहयोग

जैसमीन कहती हैं कि जरूरतमंद लोगों के लिए तो हर कोई आगे आ रहा है लेकिन बेसहारा जानवरों के लिए कोई पहल करता नहीं दिख रहा है। इसलिए हमने घर पर बात करके कर्फ्यू में मिली छूट के दौरान इनको खाना खिलाने का निर्णय लिया। यदि आवारा कुत्तों को खाना न मिला तो ये हिंसक हो सकते हैं जिससे ये कर्फ्यू के दौरान जरूरी कार्यो के लिए घरों से निकलने वाले लोगों पर हमला कर सकते हैं। इसलिए आवारा कुत्तों को खाना जरूरी है। जैसमीन ने कहा कि इस कार्य में उनके परिवार का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। जैसमीन के पिता हरवंश सिंह गांधी चौक पर दुकान चलाते हैं। वह इस दौरान अंडे भी इनको खिलाती हैं, लेकिन अगर कोई व्यक्ति जरूरतमंद मिले तो उसे भी वह खाने के लिए देती हैं। दूध के लिए जो खर्च आता है, वह  दोनों अपने परिवार की मदद से पूरा कर रही हैं।

 गोवंश की समझी पीड़ा, सुधीर शर्मा ने उठाया तूड़ी पहुंचाने का बीड़ा

 कोरोना वायरस के खौफ के बीच लगातार लोगों की मदद प्रशासन व विभिन्न माध्यमों से हो रही है। पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने इस घड़ी में किसानों व पशुपालकों को चारा उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठाया है। पूर्व मंत्री के नेतृत्व में उनकी टीम दो दिन से लगातार इस पर काम कर रही है और अब तक कई पशुपालकों तक पंजाब से तूड़ी पहुंचाई है। 

 जिला कांगड़ा समेत प्रदेश के कई हिस्सों के पशुपालक आजकल चारे के लिए पंजाब पर आश्रित रहते हैं। सुधीर शर्मा तक जब पशुपालकों से जुड़ी यह बात पहुंची तो उन्होंने बेजुबान पशुओं तक तूड़ी पहुंचाने की बागडोर संभाली। इसके लिए बाकायदा अपने ऑफिस का एक वाट्सएप नंबर जारी किया और इसके लिए आठ सदस्यों की टीम को जिम्मेदारी सौंपी । इसमें पहले केवल धर्मशाला हलके को लिया था। धर्मशाला के कई गांवों से तूड़ी की मांग आई। इस टीम ने पंजाब से तूड़ी की सप्लाई कर रहे लोगों से संपर्क किया तथा सरकार व प्रशासन की मदद से इन ट्रकों के परमिट जारी किए। इसके बाद धर्मशाला क्षेत्र में तूड़ी लेकर पांच ट्रक पहुंचे। इनमें से एक मंगलवार को योल में जाएगा। 

इसके अलावा मंगलवार भी कुछ ट्रक यहां पहुंचेंगे। यही नहीं इस नंबर पर धर्मशाला के अलावा शाहपुर, पट्टी, सलियाणा व बिलासपुर से भी मदद मांगी गई है। सुधीर शर्मा ने बताया कि इससे उन्हें कोई क्रेडिट नहीं लेना है बल्कि इस समय लोगों की मदद करना ही उद्देश्य है।


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