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जंगलों से अवैध तरीके से निकाली जा रही कसमल की जड़ें, हजारों क्विंटल बेची गयी

रोहांडा ब्लॉक के जंगलों से अवैध तरीके से निकाली जा रही हैं कसमल की जड़ें ठेकेदारों को नौ रुपये किलो के हिसाब से बेच रहे हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 08:40 AM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 08:40 AM (IST)
जंगलों से अवैध तरीके से निकाली जा रही कसमल की जड़ें, हजारों क्विंटल बेची गयी
जंगलों से अवैध तरीके से निकाली जा रही कसमल की जड़ें, हजारों क्विंटल बेची गयी

 सुंदरनगर, जेएनएन। सुकेत वन मंडल सुंदरनगर के तहत जैदवी रेंज के रोहांडा ब्लॉक के जंगलों से अवैध तरीके से कसमल की जड़ें निकाली जा रही हैं। ये जड़ें दवाएं बनाने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं। स्थानीय लोग इन जड़ों को जंगलों से निकालकर ठेकेदारों को नौ रुपये किलो के हिसाब से बेच रहे हैं।

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रोहांडा ब्लॉक के तहत लोगों को 10 वर्ष बाद मलकीयत भूमि से जड़ों को निकालने की मंजूरी मिली है लेकिन वे अपनी भूमि की बजाय जंगलों से जड़ें निकालकर सरकार को राजस्व को चूना लगा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अब तक 20 से 25 ट्रकों में कसमल की हजारों क्विंटल जड़ें जंगलों से निकालकर ठेकेदारों को बेची जा चुकी हैं। हालांकि वन विभाग की टीम रेंज ऑफिसर के नेतृत्व जंगलों पर नजर रही है लेकिन क्षेत्रफल अधिक होने से वह अवैध तरीके से किए जा रहे व्यापार को रोकने में नाकाम हो रही है। स्थानीय लोग जड़ों को जंगलों से निकालकर ठेकेदारों को नौ रुपये किलो के हिसाब से बेच रहे हैं। वहीं, ठेकेदार इन्हें 10 से 15 रुपये के बीच बेच रहे हैं।

शुगर व आंखों की बनती है दवा

कसमल की जड़ें उत्तर प्रदेश की दवा फैक्टियों में जाती हैं। इनका रस निकालकर शुगर, आंखों के अलावा अन्य दवाएं बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वर्ष बाद लोगों को मलकीयत भूमि से कसमल की जड़ें निकालने की मिली है मंजूरी रुपये किलो के हिसाब से जड़ें ठेकेदारों को बेच रहे हैं लोग से 25 ट्रक कसमल की हजारों क्विंटल जड़ें अब तक जंगलों से निकाली जा चुकी हैं। 

रोहांडा ब्लॉक में 10 वर्ष बाद अपनी जमीन से लोगों को कसमल की जड़ें निकालने की मंजूरी मिली है। अगर कोई व्यक्ति वन विभाग की भूमि से जड़ें निकाल रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। वन विभाग के अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई करने के साथ पुलिस में शिकायत दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। -सुभाष चंद पराशर, डीएफओ, सुकेत वन मंडल

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