इस बार बाठड़ा नृत्य की धूम भी होगी
लुत्प परंपराओं को सहेजने के लिए इस बार अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में सर्व देवता समिति ने पहल की है।
जागरण संवाददाता, मंडी : लुप्त परंपराओं को सहेजने के लिए इस बार अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में सर्व देवता समिति ने पहल की है। समिति ने लुप्त हो रहे बाठड़ा नृत्य का बड़े पैमाने पर आयोजन करने का निर्णय लिया है। यह प्राचीन नृत्य लुप्त होने के कगार पर है। इसे सराज व बालीचौकी आदि क्षेत्रों में केवल किसी विशेष मौके पर ही किया जाता है।
सराज के ऊपरी क्षेत्रों में सुख समृद्धि के लिए बाठड़ा नृत्य किया जाता है। देवता के समक्ष होने वाले इस नृत्य में चुने हुए लोग भाग लेते हैं। पहले राजा-महाराजाओं के वक्त यह नृत्य आमतौर पर होता था, लेकिन आधुनिकता के दौर में समाज इससे दूर होता जा रहा है। अब दुनिया के समक्ष इसे लाने के लिए सर्व देवता समिति ने इस बार इसे बड़े पैमाने पर करवाने का फैसला लिया है। पूर्व में भी यह नृत्य एक बार किया गया था, लेकिन वह आयोजन छोटे स्तर पर था। जानकारों की मानें तो सैकड़ों लोग इसमें भाग लेंगे, इसी व्यवस्था देवता समिति करेगी। यह कब होगा, इसका निर्णय प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकर लिया जाएगा।
समिति अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने बताया कि इस बार बाठड़ा नृत्य के आयोजन को बड़े स्तर पर करवाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए प्रशासन से चर्चा की जाएगी।
क्या है बाठड़ा
बाठड़ा नृत्य में शामिल होने वाले लोग बोरियां पहनकर, मुखौटे लगाकर, फसलों को गले में पिरोकर विशेष गीत व धुन पर नृत्य करते हैं। यह देवता के समक्ष होता है। इस दौरान देवता से इस नृत्य के माध्यम से सुख एवं समृद्धि की कामना की जाती है।