National Girl Child Day 2020: हिमाचल की इस बेटी ने तीन बार हासिल किया सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब
National Girl Child Day 2020 मंडी के छोटे से कस्बे की रहने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रणौत ने अपनी प्रतिभा के दम पर कई बार राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार जीत चुकी है।
मंडी, जेएनएन। National Girl Child Day 2020 मंडी जिले के छोटे से कस्बे भांबला में पली-बढ़ी कंगना रणौत ने अपने दमदार अभिनय के दम पर देश व विदेश में देवभूमि हिमाचल का नाम रोशन किया है। बॉलीवुड क्वीन के नाम से प्रसिद्ध कंगना रणौत अब तक कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों पर कब्जा कर चुकी है। 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई भांबला स्कूल से करने के बाद कंगना आगे की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ चली गई। वहां अभिनय को तवज्जो दी। घरवालों की मनाही के बावजूद कंगना ने दिल्ली के एक संस्थान में अभिनय के गुर सीखने के लिए दाखिला लिया। इसके बाद मुंबई का रुख किया। यहां कई दिक्कतों से दो चार होना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। गैंगस्टर फिल्म से करियर की शुरुआत की। अब तक तीन बार राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब जीत चुकी है। फिल्म प्रोडक्शन हाउस शुरू करने वाली हिमाचल की पहली अभिनेत्री बन गई है।
पिता के सपने को पूरा कर रही आस्था शर्मा
सुविधाओं के अभाव में पिता तो मंजिल हासिल नहीं कर पाए, अब बेटी उनके सपने को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। 16 साल की उम्र में तीन बार राष्ट्रीय व 18 बार राज्यस्तरीय बैडमिंटन स्पर्धा खेल चुकी सराज के बालीचौकी की आस्था शर्मा सबके लिए नजीर बन चुकी हैं।
पिता संजीव कुमार वॉलीबाल के राज्यस्तरीय व बैडमिंटन के जिलास्तरीय खिलाड़ी रह चुके हैं। कोचिंग की व्यवस्था न होने से वह मुकाम हासिल नहीं कर सके, लेकिन अपनी लाडली को मंजिल तक पहुंचाने का सपना जरूर संजो लिया। आस्था ने छठी कक्षा से बैर्डंमटन खेलना शुरू किया।कोचिंग की कमी खली तो पिता ने आठवीं कक्षा से आगे पढ़ाई व प्रशिक्षण के लिए मंडी भेज दिया। इसके बाद तो मानो आस्था की किस्मत ही बदल गई। कड़ी मेहनत के दम पर आस्था ने 18 बार राज्यस्तरीय स्पर्धा में भाग ले तीन स्वर्ण पदक जीते। मात्र 13 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्पर्धा में भाग लेकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
फिल्मों में अभिनय की रूह तक उतरी रूहानी
सोलन शहर के साथ लगते सेरी गांव से निकलकर रूहानी शर्मा ने फिल्म इंडस्ट्री में अलग पहचान बनाई है। उन्होंने पंजाबी गानों में बतौर मॉडल काम करना शुरू किया और आज तेलगू व मलयालम सिनेमा में अलग पहचान बचा चुकी हैं। राजस्व अधिकारी सुभाष शर्मा और शिक्षिका मीरा शर्मा के घर 1994 को जन्मी रूहानी ने सोलन में दस जमा दो कक्षा पास करने के बाद स्नातक की पढ़ाई चंडीगढ़ से की। पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उन्होंने 2013 में क्लासरूम गाने के साथ पंजाबी फिल्म उद्योग में कदम रखा।
वह 30 से अधिक पंजाबी गानों में लीड मॉडल अभिनय कर चुकी हैं। उन्होंने 2017 में फिल्मी जगत में कदम रखा। उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘तो फिर आओ न’ थी। फिर तमिल फिल्म कडैसी बैंच कर्ठी में मुख्य भूमिका निभाई। इस वर्ष उनकी तीन तेलगू और एक हिंदी फिल्म ‘आगरा’ रिलीज होने वाली हैं।
विफलताओं से घबराएं नहीं सीख लें : अपराजिता
उपमंडल घुमारवीं के गांव भजवाणी की अपराजिता चंदेल ने पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा (एचएएस) में टॉप करके सभी को चौंका दिया था। वर्तमान में अपराजिता चंदेल उपायुक्त कांगडा के साथ प्रोबेशनर एचएएस के रूप में अटैच हैं। अपराजिता पिता राकेश चंदेल स्वास्थ्य विभाग में जिला अस्पताल बिलासपुर में चीफ फार्मासिस्ट तथा माता मीना चंदेल हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में मेट्रन के पद सेवाएं दे रही हैं। अपराजिता ने मैट्रिक डीएवी स्कूल बिलासपुर से तथा दस जमा दो हमीरपुर डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एनआइटी हमीरपुर से बीटेक किया।
बकौल अपराजिता वह बतौर प्रशासनिक अधिकारी हिमाचल में महिलाओं के उत्थान को लेकर अपनी सोच को धरातल पर उतारना चाहती है। आज की युवतियों को कांफिडेंस औैर अपनी कम्यूनिकेशन स्किलज को बढ़ाना चाहिए। विफलता से घबराएं नहीं। मेहनत पर कामयाबी मिलती ही है इसमें कोई संदेह नहीं है। कुछ विफलताओं से घबराकर निराश होने के बजाए आशावादी बने रहने की जरूरत होती है।