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मंडी में आमरण अनशन पर अंशकालीन जलवाहक, मांगें पूरी न होने पर आंदोलन को किया तेज

अंशकालीन जलवाहक कम सेवादार पिछले एक हफ्ते से क्रमिक अनशन पर थे। सरकार को 14 जुलाई तक मांगें पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 02:46 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 02:46 PM (IST)
मंडी में आमरण अनशन पर अंशकालीन जलवाहक, मांगें पूरी न होने पर आंदोलन को किया तेज
मंडी में आमरण अनशन पर अंशकालीन जलवाहक, मांगें पूरी न होने पर आंदोलन को किया तेज

मंडी, जेएनएन। अंशकालीन जलवाहक कम सेवादार संघ ने आंदोलन तेज करते हुए क्रमिक अनशन को आमरण अनशन में बदल दिया है। पहले दिन नौ जलवाहक आमरण अनशन पर बैठे। इसमें मंडी व बिलासपुर जिला के जलवाहक शामिल हैं। पहले दिन रविंद्र कुमार, सुमना कुमारी, प्यार चंद, रीता देवी, पवन, चेत राम, कमल किशोर, सुरेश व गुड्डू राम आमरण अनशन पर बैठे। उनका कहना है कि मांगें पूरी न होने तक आमरण अनशन जारी रहेगा।

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अंशकालीन जलवाहक कम सेवादार पिछले एक हफ्ते से मांगों को लेकर मंडी के सेरी चानणी में क्रमिक अनशन पर थे। उन्होंने सरकार को 14 जुलाई तक मांगें पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन न तो सरकार ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया न ही उनकी मांगों को पूरा किया गया। इसके चलते उन्होंने अब आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

संघ के प्रदेश महासचिव बुद्धि राम व जिला अध्यक्ष भुट्टो राम ने बताया कि जिले के सभी जलवाहक आमरण अनशन के लिए तैयार हैं, लेकिन सेरी चानणी पर स्थान के अभाव के चलते केवल नौ जलवाहकों ही आमरण अनशन पर बैठे। इसमें कुछ विधवा महिलाएं भी बैठी हैं। उन्होंने कहा कि जल्द उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो पूरे प्रदेश में आमरण अनशन शुरू होगा। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती वह अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। जलवाहकों को 14 वर्ष के बाद नियमित किया जाता है और अगर शिक्षा विभाग में खाली पद नहीं होंगे तो नियमित नहीं किया जाता है जबकि अन्य विभागों में तीन साल बाद नियमित किया जाता है।

अंशकालीन जलवाहकों के लिए नियम बना था कि 2012 में 8 वर्ष पूरा कर चुके जलवाहकों को दैनिक वेतन भोगी बनाया जाए। 2012 से 2017 तक नियम के मुताबिक दैनिक भोगी बनाया गया, लेकिन 2018 में आठ माह बाद दैनिक वेतन भोगी बनाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार के आदेश के मुताबिक 31 मार्च व 30 सितंबर में जलवाहक डेलीवेज बनाए जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।

 

ये हैं इनकी मांगें

10 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके जलवाहकों को नियमित किया जाए। अगर शिक्षा विभाग में खाली पद नहीं है तो बिना शर्त अन्य विभागों में भेजने की व्यवस्था की जाए। अंशकालीन जलवाहकों को 5 वर्ष बाद दैनिक भोगी और 3 वर्ष के बाद नियमित किया जाए। जलवाहकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष की जाए ।


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