क्रमिक अनशन पर बैठक अंशकालीन जलवाहक
वाहक कम सेवादार संघ ने अपनी मांगों के लेकर क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। सोमवार को जलवाहक मंडी के सेरी मंच पर अनशन पर बैठे। इस मौके पर प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेजाबी भी गई। अनशन में जिला के सभी खंडों के प्रधान व उनकी कार्यकारिणी के सदस्यों ने हिस्सा लिया। संघ के जिला प्रधान भुट्टो रा
संवाद सहयोगी, मंडी : अंशकालीन जलवाहक कम सेवादार संघ ने मांगों के समर्थन में क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। सोमवार को जलवाहक मंडी के सेरी मंच पर क्रमिक अनशन पर बैठे व प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेजाबी की।
संघ के जिला प्रधान भुट्टो राम ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक क्रमिक अनशन जारी रहेगा। आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। संघ की मांगों को कई बार सरकार के समक्ष रखा गया, लेकिन आश्वासन के सिवाए कुछ नहीं मिला। इसलिए अंशकालीन जलवाहकों को अब आंदोलन का रुख अपनाना पड़ा। जलवाहकों को 14 वर्ष के बाद नियमित किया जाता है और अगर शिक्षा विभाग में खाली पद नहीं होंगे तो नियमित नहीं किया जाता है जबकि अन्य विभागों में तीन वर्ष के बाद नियमित किया जाता है। अंशकालीन जलवाहकों के लिए नियम बना था कि 2012 में आठ वर्ष पूरा कर चुके जलवाहकों को दैनिक वेतनभोगी बनाया जाए। सरकार के आदेश के मुताबिक 31 मार्च व 30 सितंबर में जलवाहक दैनिक वेतनभोगी बनाए जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा जलवाहकों के साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार के कारण संघ ने बीते 26 जून को अतिरिक्त उपायुक्त मंडी के माध्यम से प्रदेश सरकार को मांग पत्र भेजा था लेकिन अभी तक इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया है। इस कारण क्रमिक अनशन शुरू किया गया। अगर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो जलवाहक पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू कर देंगे। पहले दिन प्रदेश महासचिव बुद्धि सिंह, जिला महाससिव जय कुमार, चेतराम, रविद्र, प्यार चंद, पृथ्वी राज, शकुंतला, मोहन सिंह, रोशन, चमन लाल, कुशल कुमार, तारा चंद, सीता देवी, रीना देवी, मीना देवी व जयवंती क्रमिक अनशन पर बैठे।
ये हैं मुख्य मांगें
10 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके जलवाहकों को नियमित किया जाए। अगर शिक्षा विभाग में खाली पद नहीं है तो बिना शर्त अन्य विभागों में भेजने की व्यवस्था की जाए। अंशकालीन जलवाहकों को पांच वर्ष बाद दैनिक वेतनभोगी और तीन वर्ष के बाद नियमित किया जाए। जलवाहकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष की जाए।