अब कैंसर के साथ भिड़ेगी तकनीक, नैनो आइरिस पहुंचाएगा प्रभावित हिस्से में दवा
Nano Iris. नैनो सिस्टम को विकसित करने में वैज्ञानिकों ने पहले ग्रेफाइट फ्लेक्स को ग्रेफाइट ऑक्साइड पाउडर बनाने के लिए ऑक्सीकरण किया।
हंसराज सैनी, मंडी। कैंसर प्रभावित शरीर के किसी भी अंग की इमेजिंग व उस भाग तक अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाए बिना दवा पहुंचाना आसान हो जाएगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के वैज्ञानिकों ने इसके लिए नैनो कंपोजिट तैयार किया है, जिसे नैनो आइरिस नाम दिया गया है। आइआइटी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसिस के बॉयोएक्स सेंटर में वैज्ञानिक डॉ. अमित जायसवाल के नेतृत्व में टीम ने यह सफलता पाई।
नैनो आइरिस से ट्यूमर तक पहुंच में कोई परेशानी नहीं होगी। ट्यूमर अक्सर शरीर में गहरे होते हैं। आमतौर पर पारंपरिक तकनीक से इतने दुर्गम हिस्से तक पहुंच बनाना संभव नहीं होता। कैंसर कोशिकाओं या ऊतकों यानी टिश्यूज की इमेजिंग, आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना ली जा सकेगी। नैनो आइरिस थोड़े ही समय में कैंसर कोशिकाओं को दवा भी दे सकता है। वैज्ञानिकों ने ग्रेफाइट का उपयोग करके इस प्रणाली को विकसित किया है।
नैनो सिस्टम को विकसित करने में वैज्ञानिकों ने पहले ग्रेफाइट फ्लेक्स को ग्रेफाइट ऑक्साइड पाउडर बनाने के लिए ऑक्सीकरण किया। अगला, उपयोग करके अल्ट्रासॉनिक तरंगों, कई स्तरों के ग्रेफाइट ऑक्साइड को एकल-स्तरित या बहुल में बदल दिया। इसके बाद ग्रेफीन ऑक्साइड नैनोशीट्स तैयार किए गए। इनको नोबल इंफ्रारेड प्रकाश के प्रति उत्तरदायी बनाया। नैनो आइरिस 15 मिनट में शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं।
जानें, क्या है नैनो आइरिस
मनुष्य की आइरिस (आंख की पुतली) जैसा दिखने वाला एक सिलिका की परत वाला गोल्ड नैनोपार्टिकल है। यह कैंसर प्रभावित हिस्सों के चित्रों व वहां दवा पहुंचाने में उपयोग होगा। नैनो आइरिस को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसका हर घटक संयुक्त रूप से कार्य करे। नैनो आइरिस संरचना के मुख्य भाग में एक सोने का नैनोपार्टिकल होगा। इसकी झुनझुने जैसी आकृति है।
शोध में इन्होंने की मदद
नैनो आइरिस ईजाद करने में शौनक रॉय, अंकिता सरकार व मोनिका अहलावत ने मदद की। इन तीनों की मदद से यह कार्य संभव हो पाया।
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कैंसर के हर हिस्से की सूक्ष्म स्तर पर जांच हो, इसके लिए एक नैनोकंपोजिट तैयार किया गया है। इसे नैनो आइरिस नाम दिया गया है। इससे शरीर के किसी भी हिस्से में मौजूद ट्यूमर की इमेज (तस्वीर) लेने व दवा वितरण में चिकित्सकों को सुविधा मिलेगी। इससे ट्यूमर के आसपास मौजूद स्वस्थ्य कोशिकाओं व ऊतकों को कोई नुकसान नहीं होगा।
-डॉ. अमित जायसवाल, सहायक प्रोफेसर आइआइटी मंडी।
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