बदला भले जमाना, पर 10 पैसे ही है जुर्माना
fine. हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग के पुस्तकालयों में अब भी 10 पैसे जुर्माना है।
मंडी, काकू चौहान। 10 व 20 पैसे का प्रचलन कई वर्ष से बंद है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग के पुस्तकालयों में अब भी 10 पैसे जुर्माना है। इसकी वसूली संभव न होने के कारण विभागीय कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
मंडी में 1958 में पुस्तकालय शुरू हुआ था। तब से किताब समय पर वापस न करने की एवज में 10 पैसे प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माने का प्रावधान था। स्कूली बच्चों के लिए 10 जबकि अन्य के लिए 50 पैसे जुर्माना। अब भी जुर्माना राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस कारण जुर्माना वसूल करना विभागीय कर्मचारियों के लिए मुश्किल हो गया है। पुस्तकालयों में लाखों किताबें हैं। मंडी जिला पुस्तकालय में करीब 55 हजार किताबें हैं।
यहां हर दिन 50 से 60 किताबें पाठक पढ़ने के लिए लेते हैं। कई पाठक समय पर किताब वापस नहीं करते हैं। करें भी क्यों, सिर्फ 10 या 50 पैसे ही तो जुर्माना लगेगा। ऐसे में जो भी पुस्तकालय से किताबें निकालते हैं, वे तय समय से कम से कम 10 दिन बाद ही जमा करवाते हैं, ताकि जुर्माना राशि का भुगतान संभव हो सके। इससे अन्य पाठकों को पसंदीदा किताब के लिए इंतजार करना पड़ता है।
जुर्माना वसूलने में परेशानी
10, 20 और 50 पैसे चलन में न होने के कारण जुर्माना वसूलने में परेशानी हो रही है। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है।
-भावना, असिस्टेंट लाइब्रेरियन, जिला पुस्तकालय मंडी।
सदस्यता शुल्क भी मात्र 200 रुपये आजीवन
जिला पुस्तकालय में सदस्यता शुल्क भी मात्र 200 रुपये आजीवन निर्धारित है। एक बार 200 रुपये जमा करवाने पर व्यक्ति पूरी जिंदगी पुस्तकालय में बिना किसी शुल्क के पढ़ सकता है। यह राशि भी कई साल से नहीं बढ़ाई गई है, जबकि पुस्तकालयों में पाठकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और उन्हें पढ़ने के लिए जगह तक उपलब्ध नहीं हो पा रही। मंडी पुस्तकालय में 29000 लोग पंजीकृत हैं।
वापस नहीं कर रहे किताबें
जिला पुस्तकालय में मेंबरशिप लेने के बाद कुछ अधिकारी व कर्मचारी किताबें जमा नहीं कर रहे। कई ने तबादले के बाद मोबाइल नंबर बदल लिए हैं तो कई जल्द किताब वापस करने की बात करते हैं, लेकिन तय तारीख को किताब वापस करने नहीं पहुंचते।
केस स्टडी 1
जिला पुस्तकालय मंडी में पंजीकृत रोहित ने बताया कि मैंने लाइब्रेरी से केमिस्ट्री की किताब निकलवाई। किताब तय तिथि को जमा नहीं करवा पाया। अगले दिन जब लाइब्रेरियन ने 50 पैसे जुर्माना मांगा तो मैं हैरान हो गया कि इतना कम जुर्माना। 50 पैसे प्रचलन में न होने के कारण एक रुपया दे दिया।
केस स्टडी-2
विकेश ने बताया उसका छोटा भाई भी उसके साथ पुस्तकालय में पढ़ने के लिए आता है। वह स्कूल में पढ़ता है। उसने एक बार सामान्य ज्ञान की किताब निकलवाई। वह बीमार पड़ गया और निर्धारित समय तक किताब वापस नहीं कर पाया। इस पर पुस्तकालय प्रभारी ने कहा जुर्माना भरना पड़ेगा। वह छह दिन लेट था। उसे 60 पैसे जुर्माना बताया गया। 10 व 50 पैसे प्रचलन में न होने के कारण एक रुपये जुर्माना भरा।