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चिकित्सकीय लापरवाही पर निजी अस्पताल को एक लाख रुपये हर्जाना

जिला उपभोक्ता फोरम ने एक निजी अस्पताल द्वारा चिकित्सकीय लापरवाही बरतने पर उपभोक्ता के पक्ष में एक लाख रुपये हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा उपभोक्ता के पक्ष में दवाईयों का खर्चा लौटाने तथा 20,000 रुपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिए हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजन गुप्ता तथा सदस्यों विभूती शर्मा व आकाश शर्मा ने पद्धर तहसील के पुंडल गवाली गांव निवासी सविता पत्नी नवनीत मेहता की शिकायत को उचित मानते हुए मंडी के निजी

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 07:07 PM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 07:07 PM (IST)
चिकित्सकीय लापरवाही पर निजी अस्पताल को एक लाख रुपये हर्जाना
चिकित्सकीय लापरवाही पर निजी अस्पताल को एक लाख रुपये हर्जाना

संवाद सहयोगी, मंडी : जिला उपभोक्ता फोरम ने एक निजी अस्पताल की ओर से चिकित्सकीय लापरवाही बरतने पर उपभोक्ता के पक्ष में एक लाख रुपये हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा उपभोक्ता को दवाओं का खर्च लौटाने तथा 20,000 रुपये शिकायत व्यय भी अदा करने का आदेश दिया है।

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जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजन गुप्ता तथा सदस्य विभूती शर्मा व आकाश शर्मा ने पद्धर तहसील के पुंडल गवाली निवासी सविता पत्नी नवनीत मेहता की शिकायत को उचित मानते हुए मंडी के एक निजी अस्पताल तथा वहां तैनात महिला चिकित्सक को संयुक्त रूप से चिकित्सकीय लापरवाही बरतने पर एक लाख रुपये बतौर हर्जाना अदा करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा फोरम ने अस्पताल को दवाओं व इलाज का खर्चा 1863 रुपये नौ फीसद ब्याज सहित लौटाने को कहा है।

अधिवक्ता भंवर भारद्वाज के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता के पहले प्रसव के बाद चिकित्सकों ने उन्हें हिदायत दी थी कि वह भविष्य में प्रसव का रिस्क न लें। लेकिन दिसंबर 2015 व जनवरी 2016 में मासिक धर्म से न गुजरने के कारण उन्होंने निजी अस्पताल में चिकित्सकों से चेकअप करवाया था। जिन्होंने उसका अल्ट्रासाउंड करवाने के बाद बताया कि वह गर्भवती नहीं है और उन्हें दवाएं खाने को दी थी। साथ ही समय-समय पर अस्पताल में चेकअप के लिए आने की हिदायत दी थी।

हालांकि उपभोक्ता दो बार फिर से अस्पताल में चेकअप के लिए गई पर तब भी उन्हें दवाएं लेते रहने को कहा गया। मार्च 2016 में उन्हें गर्भवती होने की आशंका हुई। जिस पर उन्होंने एक अन्य निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करवाया तो वहां पर उनके प्रसव से होने की पुष्टि हुई।

उपभोक्ता के मुताबिक निजी अस्पताल में चिकित्सीय लापरवाही के कारण उनके प्रसव का पता नहीं लगाया जा सका और उन्हें गलत दवाएं दी जाती रहीं। उपभोक्ता को इस अवांछित प्रसव को समाप्त करने एमटीपी का कदम उठाना पड़ा। इस कारण उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। ऐसे में उपभोक्ता ने अस्पताल की चिकित्सकीय लापरवाही पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत दायर की थी।

फोरम ने अपने फैसले में कहा कि यह अस्पताल उपभोक्ता के प्रसव को बताने में असफल रहा है। इस कारण उपभोक्ता को परेशानी हुई। अस्पताल की कार्यप्रणाली निर्धारित मापदंडों से निम्न स्तर की रही है, जो सपष्ट रूप से चिकित्सकीय लापरवाही है। फोरम ने अस्पताल की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी पर एक लाख रुपये हर्जाना अदा करने के आदेश दिए हैं।


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