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हिमाचल के इस गांव का अपना है संविधान, चुनते हैं सरकार पर मानते हैं देव आज्ञा

Malana Village of Himachal कुल्‍लू के मलाणा गांव का अपनी ही संविधान है यहां के लोग सरकार बनाने में तो सहयोग करते हैं लेकिन कार्य देवता के आदेशानुसार ही करते हैं।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 09:20 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 09:20 AM (IST)
हिमाचल के इस गांव का अपना है संविधान, चुनते हैं सरकार पर मानते हैं देव आज्ञा
हिमाचल के इस गांव का अपना है संविधान, चुनते हैं सरकार पर मानते हैं देव आज्ञा

कुल्लू, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला का मलाणा गांव अपनी परंपरा और कड़े नियमों के लिए प्रसिद्ध है। 1100 आबादी वाले गांव में 900 महिला व पुरुष मतदाता हैं। ये मतदान कर सरकार बनाने में तो सहयोग करते हैं, लेकिन यहां कोई भी कार्य सरकार और प्रशासन नहीं बल्कि देवता के आदेश के अनुसार ही होता है। देश के सबसे प्राचीन लोकतांत्रिक मलाणा गांव का अपना ही संविधान है।

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गांव में छोटे से छोटे कार्य के लिए भी देवता से ही इजाजत ली जाती है। इसके लिए गांव में 14 सदस्य यह फैसला करते हैं। जिस तरह से अन्य गांवों में ग्रामसभा होती है, उसके विपरीत यहां पर जब भी कोई कार्य करना होता है तो इन 14 सदस्य जिनको गूर या कारदार कहा जाता है, वही फैसला करते हैं जो पूरे गांव को मान्य होता है। चुनाव के दौरान यहां पर बेशक कांग्रेस व भाजपा समर्थित लोग मौजूद हैं, जो अपनी इच्छानुसार वोट देते हैं लेकिन गांव का अन्य कोई भी कार्य लोग अपनी इच्छानुसार नहीं कर सकते हैं। जिला प्रशासन ने यहां पर स्कूल में बूथ नंबर 121 बनाया है। गांव में 445 पुरुष व 455 महिला मतदाता हैं।

 

2012 के चुनाव में यहां पर कुल 520 मत पड़े थे। अपनी अलग व्यवस्था के लिए जाने जाना वाला यह गांव आज भी अपनी प्राचीन संस्कृति के अनुसार ही चलता है। हालांकि समय के साथ जरूरत आधुनिकता के चलते यहां कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन आज भी सरकार के नियमों से पहले यहां पर अपने नियम मान्य हैं। देवता जमलू का आदेश मानते हैं ग्रामीण देवता जमलू के आदेश के बिना मलाणा गांव में कोई काम नहीं किया जाता है। मलाणा गांव के प्रधान भागी राम बताते हैं कि पंचायत में चुनाव के दौरान लोग कांग्रेस व भाजपा या अन्य पार्टियों को अपनी मर्जी के अनुसार मतदान करते हैं, लेकिन गांव में होने वाले किसी भी कार्य के लिए 14 सदस्यों और देवता के आदेश का ही पालन किया जाता है।

 

पोलिंग टीम को करना होगा डेढ़ घंटे का पैदल सफर

पार्वती घाटी में मौजूद मलाणा गांव नग्गर खंड के तहत आता है। यहां पहुंचने के लिए एक से डेढ़ घंटे का सफर पोलिंग पार्टियों को पैदल करना पड़ेगा क्योंकि इस गांव के मुख्य द्वार तक तो सड़क की व्यवस्था हो चुकी है लेकिन उससे आगे पहाड़ी रास्ते पर पैदल ही जाना पड़ता है। चुनाव के लिए संबंधित टीम भी बूथ का दौरा कर आई है।


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