टीसीपी के विरोध में मुख्यमंत्री को भेजेंगे ज्ञापन
संवाद सहयोगी, भुंतर : नगर एवं ग्राम योजना विभाग की ओर से औट क्षेत्र को टीसीपी के दायरे में
संवाद सहयोगी, भुंतर : नगर एवं ग्राम योजना विभाग की ओर से औट क्षेत्र को टीसीपी के दायरे में लेने की अधिसूचना के विरोध में लोग उतर आए हैं। औट तहसील के थलौट से लेकर झीड़ी तक की सभी पंचायतों के 17 मुहाल शामिल हैं। इस फरमान के विरोध में स्नोर घाटी के ग्रामीण 21 नवंबर को तहसीलदार औट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे। फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष खुशाल ठाकुर ने आरोप लगाया कि अधिसूचना के समय जनता को विश्वास में नहीं लिया गया है। साथ ही पंचायत के जनप्रतिनिधियों व अन्य पक्षों को भी गुमराह किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब जनता के पास भूमि के बहुत ही छोटे-छोटे टुकड़े हैं। जिन पर घर आदि बने हैं, अथवा बनाए जाने हैं। आपसी सौहार्द से आने-जाने के रास्तों व अन्य प्रकार की समस्याएं नहीं हैं। बढ़ती जनसंख्या के चलते भूमि का विभाजन व उपविभाजन हुआ है। इसके अतिरिक्त फोरलेन के भू अधिग्रहण से सड़क के साथ लगते क्षेत्र में जनता के पास बड़ी सीमित भूमि बची है। ऐसे लोगों को पांच मीटर कंट्रोल विड्थ व तीन मीटर टीसीपी के अनुसार आठ मीटर फ्रंट छोड़ना पड़ेगा। अब उनके पास क्या बचेगा, यह वहीं बेबस लोग जानते हैं। अब जबकि ''औट योजना क्षेत्र'' ने अपना असली रुप दिखाना शुरु कर दिया है, जिसके अंतर्गत स्थानीय जनता को कुल्लू के नगर एवं ग्राम योजना विभाग के अधीन किया गया है। नए निर्माण कार्यों के लिए नक्शा पास करवाना होगा, भवनों की कुल ऊंचाई 21 मीटर तय है। अधिकतम फलोर एरिया रेशो 1.75 होगी। अपनी भूमि से अनिवार्य रुप से तीन मीटर रास्ता देना होगा। घर की मंजिलें, कमरों का साईज आदि सभी कुछ तय निर्देशानुसार करना होगा, व इन सभी कामों की भारी फीस देनी होगी। एक निश्चित सीमा से कम अथवा छोटे भूखंडों पर निर्माण की इजाजत नहीं होगी। बिजली-पानी आदि के कनेक्शन लेने की औपचारिकताएं व दरें बढ़ जाएंगी। 40 वर्ग मीटर तक के नक्शे पास करवाने या नियमित करवाने की फीस 5 रुपये प्रति वर्ग मीटर होगी। ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आवादी धीरे-धीरे अपनी भूमि पर घर नहीं बना पाएगी, पुराने घरों की मुरम्मत को भी मंजूरी लेनी पड़ेगी। नई पशुशाला अथवा टॉयलेट बना पाना नगर एवं ग्राम योजना विभाग की मंजूरी पर ही निर्भर करेगा। अन्यथा जनता के अपनी खून-पसीने की कमाई से बने ढांचे अवैध माने जाएंगे।