स्कीइंग चैंपियनशिप के लिए सोलंगनाला के विकल्पों की तलाश
जागरण संवाददाता मनाली राष्ट्रस्तरीय स्की ढलान मनाली के सोलंगनाला में हर साल बर्फ कम हो
जागरण संवाददाता, मनाली : राष्ट्रस्तरीय स्की ढलान मनाली के सोलंगनाला में हर साल बर्फ कम हो रही है। इस कारण हिमाचल प्रदेश विंटर गेम्स एसोसिएशन सोलंगनाला का विकल्प तलाशने में जुटी है। फरवरी में सोलंगनाला में प्रस्तावित राष्ट्रस्तरीय स्की एंड स्नो बोर्डिंग चैंपियनशिप के लिए अगर बर्फबारी नहीं हुई तो लाहुल-स्पीति जिले में सिस्सू, धुंधी या हामटा सोलंगनाला के विकल्प हो सकते हैं।
स्की एंड स्नो बोर्ड इंडिया के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को नई ढलानों की तलाश के लिए लाहुल-स्पीति जिले का दौरा किया। अटल टनल रोहतांग के देश को समर्पित होने से हिमाचल का जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति साहसिक खेलों का हब बन सकता है। पर्यटन नगरी मनाली की स्की ढलान सोलंगनाला में पिछले वर्ष राष्ट्रीय राष्ट्रस्तरीय स्की एंड स्नो बोर्डिंग प्रतियोगिता हुई थी। इस साल यहां राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन बर्फबारी पर निर्भर करेगा।
वहीं, हिमाचल प्रदेश विंटर गेम्स एसोसिएशन, स्कीइंग एंड स्नो बोर्ड इंडिया की मदद से लाहुल घाटी में फरवरी में चंद्रा घाटी में प्रतियोगिता करने जा रही है। इसी सिलसिले में 22 जनवरी को स्कीइंग एंड स्नो बोर्डिग की टीम सिस्सू में स्कीइंग स्लोप तलाशने गई है। स्की एंड स्नो बोर्ड इंडिया के महासचिव रूप चंद नेगी ने बताया कि फरवरी में राष्ट्रस्तर पर स्की एंड स्नो बोर्डिंग प्रतियोगता मनाली व लाहुल में करवाने का फैसला लिया है। शुक्रवार को टीम ने लाहुल-स्पीति की चंद्रा घाटी के सिस्सू और गोंधला के आसपास स्की ढलानों की संभावना को तलाशा है। इसमें स्थानीय पंचायत के सदस्यों सहित लाहुल प्रशासन भी सिस्सू में एकत्रित हुए। मनाली के सोलंगनाला में स्की एंड स्नो बोर्डिंग प्रतियोगिता करवाई जाती रही है। टनल खुलने के बाद यह पहला मौका है कि जनजातीय जिला लाहुल स्पीति में भी राज्यस्तरीय प्रतियोगिता करवाई जा रही है।
उधर, उपायुक्त पंकज राय ने बताया कि अटल टनल खुलने बाद पहली बार लाहुल में विंटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के मकसद से साहसिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है। वहीं फेडरेशन द्वारा राज्यस्तरीय प्रतियोगिता करवाया जाना स्थानीय युवाओं की प्रतिभा भी निखरेगा।
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सोलंगनाला में 340 मीटर स्की ढलान
सोलंगनाला में 340 मीटर स्की ढलान है। इसे 130 मीटर और लंबा बनाया जा रहा था, ताकि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का बन सके। इसमें वन भूमि आड़े आ गई। स्की ढलान में एक फीट मोटी बर्फ की परत होना जरूरी है। माइनस तापमान जरूरी होता है, ताकि बर्फ ठोस बन सके। जितनी ठोस बर्फ होगी उतना ही प्रतिभागी को तेज भागने में आसानी होगी।
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ये भी जानें
देश में स्की और स्नोबोर्डिंग की मुख्य बॉडी स्की एंड स्नो बोर्ड इंडिया को 27 जुलाई 2019 को फिस (इंटरनेशनल स्की फेडरेशन) की स्थायी सदस्यता मिलने के साथ इंटरनेशनल स्कीइंग कांग्रेस में एक वोट देने का अधिकार भी मिला है। 133 देश फिस के सदस्य हैं, जिनमें अब भारत भी शामिल है।
2018 में केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा चुनाव में अनियमिताओं के चलते और नए चुनाव न करवा पाने के चलते विटर गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को निरस्त कर दिया था। इसके बाद स्की एंड स्नो बोर्ड इंडिया का गठन किया गया जिसे अब शीतकालीन खेलों की अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन फिस से भी मान्यता मिल गई है। विटर गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की जगह जनवरी 2019 में भारतीय ओलंपिक संघ के तत्वाधान में स्की एंड स्नो बोर्ड इंडिया का गठन किया गया था। छह जून 2019 को भारतीय ओलंपिक संघ ने स्की एंड स्नो बोर्ड इंडिया को मान्यता दी। छह जून को ही भारतीय ओलंपिक संघ ने महाराष्ट्र के सुरेश अग्रवाल को अध्यक्ष, हिमाचल के रूप चंद नेगी को महासचिव नियुक्त किया है।