नहीं लौटा चिनूक, सर्वेक्षण में देरी
जागरण संवाददाता मनाली चीन के साथ तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने मनाली-लेह मार्ग के सामरिक म
जागरण संवाददाता, मनाली : चीन के साथ तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने मनाली-लेह मार्ग के सामरिक महत्व को देखते हुए शिंकुला सुरंग के निर्माण के प्रयास तेज कर दिए हैं। भूतल परिवहन मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अधोसंरचना विकास प्राधिकरण ने शिंकुला सुरंग की रूपरेखा तैयार कर ली है। शिंकुला सुरंग के हवाई सर्वेक्षण की औपचारिकताएं 20 अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए डेनमार्क व गुजरात के इंजीनियर केलंग में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन कुछ उपकरणों को लाने के लिए अंबाला एयरबेस गया चिनूक हेलीकाप्टर शनिवार को भी केलंग के सतींगरी हेलीपैड पर नहीं लौटा। इस कारण लाहुल स्पीति जिले के शिकुंला दर्रे में 12 हजार फीट की ऊंचाई पर प्रस्तावित 13.5 किलोमीटर लंबी सुरंग के लिए शनिवार को हवाई सर्वेक्षण नहीं हो पाया।
18 सितंबर को राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अधोसंरचना विकास प्राधिकरण के प्रबंध एवं कार्यकारी निदेशक संजीव मलिक ने शिंकुला सुरंग के नार्थ पोर्टल में पहुंचकर भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण कार्य का जायजा लेते हुए कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए थे। वह सर्वेक्षण पूरा करने के बाद विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) जल्द बनाना चाहते हैं, ताकि इसे रक्षा मंत्रालय को सौंपकर सुरंग निविदा प्रकिया आरंभ की जा सके। इस सुरंग के बन जाने से लेह के लिए 12 माह सड़क सुविधा उपलब्ध होगी। सारी प्रकिया पूरी करते हुए नवंबर माह तक रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौपेंगे और दिसंबर तक टेंडर लगाए जाएगा।
वहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अधोसंरचना विकास प्राधिकरण के डीजीएम अनिल ने बताया कि 20 अक्टूबर से पहले सर्वेक्षण की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी। डेनमार्क के तीन इंजीनियर व गुजरात के दो इंजीनियर सर्वेक्षण कार्य में जुटे हैं।